गौरतलब है कि केन नदी पर बना बीरा पुल मप्र के अजयगढ़ और उत्तर प्रदेश के महोबा को आपस में जोड़ता है। इसके अलावा यह पन्ना और छतरपुर जिले को भी जोड़ता है। अजयगढ़ व धरमपुर क्षेत्र से चंदला व लवकुशनगर के लोगों के लिए यह 100 किमी. की दूरी कम कर देता है।
लोगोंा को यदि छतरपुर होकर लवकुश नगर जाना पड़ा तो उन्हें 125 किमी. का सफर करना पड़ेगा, जबकि इस पुल के उपयोग से दूरी महज 45 किमी. रह जाती है। इसी प्रकार छतरपुर होकर चंदला जाने पर 150 किमी. का सफर करना पड़ेगा जबकि पुल का उपयोग करने से महज 22 किमी. की दूरी रह जाती है। इसी प्रकार से उत्तर प्रदेश के महोबा की दूरी छतरपुर से जाने पर करीब 150 किमी. होती है, जबकि उक्त पुल का उपयोग करने से दूरी महज 70 किमी की रह जाती है।
हर दिन निकलते हैं सैकड़ों भारी वाहन पुल के मात्र चार पिलर ही जमीन पर अपनी यथास्थिति में बने है, जिनके सहारे पुल खड़ा है। छतरपुर जिले का रेत का पूरा व्यापार इसी पुल से होता है। इसके साथ ही पुल से सैकड़ों की तादाद में ओवरलोड ट्रक निकलते हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि रेत कारोबारी जानबूझकर नीचे से खोदकर परिवहन कर रहे हैं। कारोबारी पुल को जल्द से जल्द तोडऩा चाहते हैं। कमजोर होने से बारिश में नदी के तेज बहाव में पुल बह सकता है।
जांच में बताई थी भयावह स्थिति बताया गया कि मामले की जांच भगवानदास कोरी सहायक यंत्री एसडीओ आरइएस, आनन्दी लाल प्रजापति सब इंजीनियर मनरेगा ने संयुक्त रूप से की थी। जिसमें बताया गया किनदी के वैड लेवल की रेत का लगभग आठ से दस फीट खनन कर लिया गया है।
पिलर के नीचे चार पायलरर्स आठ से दस फीट रेत निकलने से दिखने लगे हैं। जिससे पुल का बना बेस खतरे मे आ गया है। टीम ने वहा कि भयावह स्थिति के बारे में अपनी रिपोर्ट में बताया कि उक्त पुल वास्तव में कमजोर हो गया है। अगर इसके नीचे व आसपास में रेत का अवैध उत्खनन बंद नहीं करवाया गया तो पुल को क्षति पहुंच सकती है।
ग्रामीणों की शिकायत पर तकनीकी लोगों से बीरा पुल की जांच कराई गई थी। अवैध उत्खनन से पुल का बेस आठ से दस फीट दिखने लगा है। पुल के आसपास अवैध उत्खनन पर सख्ती से रोक लगाई है। वर्तमान मे बीरा पुल के नीचे अवैध उत्खनन पूर्णत: बंद है। आयुषी जैन, एसडीएम, अजयगढ़