साफ गेहूं में भी छन्ना अनिवार्य किया जिले के कई हिस्सों से किसानों ने जानकारी दी है कि वह घर से गेहूं को पूरी तरह से साफ करने के बाद लेकर केन्द्र में पहुंचते हैं, तब भी केन्द्र में लगाए गए छन्ने में डालना पड़ता है। इसके लिए खरीदी केन्द्र प्रभारी और गेहूं सफाई का काम करने वालों की मिलीभगत रहती है। इसके लिए 20 रुपए प्रति क्विंटल का भुगतान भी करना होता है। किसानों ने कहा कि इस साल गेहूं की उपज सही नहीं है, पतला होने की वजह से अधिकांश किसानों को गुणवत्ता के नाम पर परेशान किया जा रहा है।
स्लॉट बुकिंग की भी समस्या
इस बार सरकार ने केन्द्रों में भीड़ जमा नहीं हो इसके लिए स्लाट बुक करने का विकल्प किसानों को दिया है। यह विकल्प गेहूं की फसल की कटाई के पहले ही दिया गया, जिसके चलते किसान समय पर अपनी तारीख बुक नहीं करा पाए। वहीं कुछ किसानों को इसके बारे में जानकारी नहीं हुई। जिससे उन्हें अप्रेल महीने की तारीख नहीं मिली। जिन्हें तत्काल रुपयों की जरूरत है। वह मंडी की ओर जा रहे हैं।
इस बार सरकार ने केन्द्रों में भीड़ जमा नहीं हो इसके लिए स्लाट बुक करने का विकल्प किसानों को दिया है। यह विकल्प गेहूं की फसल की कटाई के पहले ही दिया गया, जिसके चलते किसान समय पर अपनी तारीख बुक नहीं करा पाए। वहीं कुछ किसानों को इसके बारे में जानकारी नहीं हुई। जिससे उन्हें अप्रेल महीने की तारीख नहीं मिली। जिन्हें तत्काल रुपयों की जरूरत है। वह मंडी की ओर जा रहे हैं।
ऋण की राशि अपनी मर्जी से काट रहा बैंक
खरीद केन्द्रों तक इस साल कम संख्या में आने की एक वजह यह भी बताई गई है कि जिला सहकारी बैंक ने सभी किसानों का ऋण कम्प्यूटर पर फीड करवा रखा है। जैसे ही संबंधित किसान की उपज का भुगतान किया जाएगा, उसी दौरान संबंधित किसान की ऋण का हिस्सा काटकर बैंक के खाते में जमा कर दिया जाएगा। किसानों का कहना है कि तत्काल उन्हें रुपयों की जरूरत होने पर भी नहीं दी जा रही है। बैंक का भुगतान तो वह बाद में ब्याज के साथ देने को भी तैयार हैं लेकिन तात्कालिक रूप से रुपए मिलने पर वैवाहिक कार्यक्रमों एवं अन्य जरूरी खर्चों को पूरा किया जा सकता है। मंडी में व्यापारियों द्वारा जल्द ही रुपए भुगतान किए जा रहे हैं।
खरीद केन्द्रों तक इस साल कम संख्या में आने की एक वजह यह भी बताई गई है कि जिला सहकारी बैंक ने सभी किसानों का ऋण कम्प्यूटर पर फीड करवा रखा है। जैसे ही संबंधित किसान की उपज का भुगतान किया जाएगा, उसी दौरान संबंधित किसान की ऋण का हिस्सा काटकर बैंक के खाते में जमा कर दिया जाएगा। किसानों का कहना है कि तत्काल उन्हें रुपयों की जरूरत होने पर भी नहीं दी जा रही है। बैंक का भुगतान तो वह बाद में ब्याज के साथ देने को भी तैयार हैं लेकिन तात्कालिक रूप से रुपए मिलने पर वैवाहिक कार्यक्रमों एवं अन्य जरूरी खर्चों को पूरा किया जा सकता है। मंडी में व्यापारियों द्वारा जल्द ही रुपए भुगतान किए जा रहे हैं।