बताया गया कि दोपहर करीब १ बजे कर्मचारी भोजन करने जा रहे थे, इसी दौरान देखा कि गोदाम के अंदर से धुआं निकल रहा है। अनहोनी की आशंका को देखते हुए कर्मचारी गोदाम के अंदर की ओर भागे तो देखा कि चने की लाट के बोरों से आग की लपटें निकल रही थीं। कर्मचारियों ने फायर सिलेंडरों से आग कम करने का प्रयास किया। साथ ही मामले की जानकारी तहसीलदार उमेश सोनी, सीएमओ महमूद हसन और थाना प्रभारी देवेंद्रनगर सहित फायर ब्रिगेड को दी।
सजगता से टला बड़ा हादसा मामले की जानकारी लगने के कुछ ही समय बाद अधिकारी मौके पर पहुंच गए और राहत व बचाव को लेकर जरूरी निर्देश दिए। तब तक देवेंद्रनगर के दोनों फायर ब्रिगेड भी पहुंच गए और आग बुझाने में लग गए। कर्मचारियों की सजगता के कारण आग ज्यादा नहीं भड़कने पाई थी।
फायर ब्रिगेड की सहायता से आग पर जल्द काबू पा लिया गया। आगनजी के घटना में जहां कई बोरे जल गए वहीं आग बुझाने के दौरान लाट में रखा सैकड़ों बोरा चना भीग गया। भीगे चने के बोरों को लाट से बाहर कराया गया। बताया जाता है आग लगने का कारण किसी कर्मचारी की लापरवाही हो सकती है। फिलहाल आग लगने के सही कारणों का पता नहीं चल पाया है।
गर्मी में बढ़ जाते हैं आगजनी के मामले तेज गर्मी के दिनों में हर साल आगजनी की घटनाएं बढ़ जाती हैं। जिलेभर में समुचित फायर ब्रिगेड की सुविधा नहीं होने से अधिकांश मामलों में सबकुछ जलकर नष्ट होने के बाद ही आग बुझ पाती है या फिर फायर ब्रिगेड बहुत विलंब से पहुंचती है। दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में आग लगने की स्थिति में उसे समय रहते बुझा पाना संभव नहीं हो पाता है।
हर साल यह स्थिति बनती है। इसके बाद भी जिम्मेदार लोगों द्वारा पूर्व से व्यवस्था नहीं की जाती है। बीते साल पूरे सीजन में करीब एक दर्जन जंगल में और करीब आधा सैकड़ा खलिहानों एवं घरों में आग लगने की घटनाएं सामने आई थीं। इस साल भी अब आगजानी का सिलसिला शुरू हो गया है। बीते दिनों अजयगढ़ के कोलयाना मोहल्ला में एक घर में रात करीब साढ़े १० बजे अचानक आग भड़क गई थी।