पीडि़ता व उसकी मां को तहसील प्रांगण में बैठाकर आसपास घूमता रहा। शाम करीब 5-6 बजे पीडि़ता व मां को घर जाने के लिए बस में चढ़ाया। पीडि़ता को अपने साथ बस के आगे वाले दरवाजे से चढ़ाया एवं मां को पीछे वाले दरवाजे से चढ़ा दिया। मां बालाजी टेक पर उतर गई थी और पीडि़ता के उतरने का इंतजार करती रही, लेकिन आरोपी पीडि़ता को कटनी की ओर लेकर चला गया था।
कटनी में जब उसे ट्रेन में चढ़ाने लगा तो पीडि़ता के रोने पर आरोपी ने उसे मारकर फेंक देने की धमकी दी। आरोपी पीडि़ता को ट्रेन में चढ़ाकर हरियाणा ले गया। वहां उसे एक कमरे में बंद करके रखा। पीडि़ता को 50-60 हजार रुपए में बेचने के लिए ग्राहक बुलाता रहा। जब बेचने की बात पीडि़ता ने सुनी तो वह चीखने-चिल्लाने लगी और खाना-पीना बंद कर दिया।
तब आरोपी उसे कटनी छोड़कर वापस चला गया। पीडि़ता कटनी से अपने घर आई और माता-पिता को घटना का संपूर्ण हाल बताया। मामले की रिपोर्ट थाना शाहनगर में की गई थी। जिसके आधार पर थाना शाहनगर में अपराध दर्ज कर अनुसंधान पूर्ण कर आरोप पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था।
अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य में मामला प्रमाणित पाए जाने पर अपर सत्र न्यायाधीश पवई राजेश कुमार रावतकर ने आरोपी को अपराध धारा धारा 36 3 में 2 वर्ष का कारावास और 500 रुपए का अर्थदंड की सजा सुनाई। धारा 366 (क) में 2 वर्ष का कारावास एवं 500 रुपए का अर्थदंड एवं 372/511 में 5 वर्ष का कारावास और 1000 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया।