ऐसे हालात में मौसम में अचानक आए बदलाव से किसान सहमे हैं। उन्हें डर है कि कहीं उनके पूरे सीजन की मेहनत पर कुछ मिनटों की बारिश से पानी न फिर जाए। गौरतलब है कि गुरुवार सुबह जब लोग सोकर उठे तो आसमान में बादलों का डेरा था। करीब साढ़े 8 बजे तेज बूंदाबांदी शुरू हो गई। इससे राहीगीरों ने भीगने से बचने के लिए सुरक्षित स्थान तलाश लिए। इसके बाद शाम करीब 5 बजे फिर तेज बूंदाबांदी शुरू हो गई।
दिन के अधिकांश समय आसमान में घने बादल छाए रहे। जिलेभर में हर घंटे बदलते मौसम के तेवर के साथ ही किसानों की चिंता भी घटती-बढ़ती रही। इन दिनों जिलेभर में गेहूं की फसल जहां एक ओर पककर कटने के लिए तैयार खड़ी है वहीं दूसरी ओर चने और मसूर की अधिकांश फसल कट चुकी है। वह अभी खेत में पड़ी हैं या फिर खलिहान में। अभी बारिश होने की स्थिति में किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। किसानों को हर घंटे यही डर बना रहता है कि कहीं बारिश नहीं होने लगे।
यदि बारिश हुई तो उनके सीजनभर की मेहनत नष्ट तो हो ही जाएगी साथ ही वे भारी कर्ज में डूब जाएंगे। जिलेभर में पिछले करीब १५ दिनों से चने और मसूर के फसल की कटाई का काम चल रहा है। अब तक जिलेभर में चने और मसूर की अधिकांश फसल कट चुकी है। जो बची हुई है वे कटाई के अंतिम दौर में है, जबकि इनकी गहाई का काम हाल के दिनों में ही चालू हुआ है।
इससे चने और मसूर की अधिकांश फसल अभी तक किसानों के घर पहुुंचने के बजाए खेतों और खलिहानों में ही पड़ी हुई है। इससे इस समय बारिश होने की स्थिति में किसानों को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं दूसरी ओर गेहूं की फसल की कटाई का काम भी चल रहा है। इससे मौसम में अचानक आए बदलान से किसान चिंतित और परेशान हैं।
बारिश नहीं होने भगवान से प्रार्थना किसान विशाल सिंह ने कहा किसानों के पूरे सीजन की मेहनत और लागत खेतों और खलिहानों में पड़ी है। यदि इन दिनों बारिश होती है तो किसानों को भारी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। हम किसान भगवान से प्रार्थना करते हैं कि अगामी एक माह तक बारिश नहीं हो।
इससे किसान अपनी मेहनत के परिणाम को अपने घरों तक ले जा सकें। वहीं किसान रमेश सिंह का कहना है कि गेहूं की फसल इन दिनों पककर कटाई के लिए तैयार खड़ी। किसान कई जगहों पर कटाई भी करने लगे हैं। रविवार को अचानक बूंदाबांदी होने और आसमसान में बादलों के रहने के कारण किसान काफी चिंतित दिखाई दे रहे हैं।