इस झुण्डों से शहर में कई बार जाम की स्थिति निर्मित होती है और हरपल दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। बीते दिनों कई लोग दुर्घटना के शिकार हो भी चुके हैं। परंतु इसके बाद भी इस समस्या से निदान के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए। कई बार इन्हें खदेड़ कर नपा की गौशाला तक पहुंचाया गया, परंतु कुछ दिनों बाद ही दोबारा छोड़ दिया गया, जो फिर सड़कों पर भटकने लगती हैं।
बीते साल आवारा गौवंश से निजात पाने के उद्देश्य से नपा की ओर से नगर के बाइपास रोड पर कई एकड़ के क्षेत्र में गौशाला का निर्माण किया गया था परंतु गौशाला में गौवंश को संरक्षित करने के बजाए दो दर्जन गायों को गौशाला में रखा जा रहा है। गौशाला के नाम पर सरकार को लाखों की चपत लगाई जा रही है। गौवंश के हिस्से की राशि नपा और गौशाला संचालकों की ओर से डकारी जा रही है।
राजनीति का शिकार हो रहा गौवंश नगर में घूम रहीं गाय एक ओर राहगीरों के लिए मुसीबत बनी हैं, वहीं दूसरी ओर गौवंश को भी अनेकों यातनाओं का सामना करना पड़ रहा है। नगर की सड़कों पर इनके खाने की वस्तुएं न मिलने से यह पॉलीथिन का सेवन करती हैं जो गौवंश के असमय मौत का कारण बन रही हैं।
पिछली सरकार हो या वर्तमान सरकार इनकी समुचित व्यवस्था के बजाए राजनीति का मोहरा बनाकर इस्तेमाल किया जाता है। मुख्यमंत्री की ओर से हर ग्राम पंचायत में गौशाला का निर्माण करवाने का वादा किया गया था जिसको निभाते हुए प्रथम चरण में एक हजार गौशाला बनाने के निर्देश दिए गए हैं। जिसके निर्माण में सालों लग सकते हैं।