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रात 8.58 बजे के बाद होलिका दहन, जमकर उड़ेगा रंग-गुलाल, होगा फाग, जानिए कैसे हो रही तैयारियां

locationपन्नाPublished: Mar 18, 2019 07:53:37 pm

Submitted by:

Bajrangi rathore

रात 8.58 बजे के बाद होलिका दहन, जमकर उड़ेगा रंग-गुलाल, होगा फाग, जानिए कैसे हो रही तैयारियां

holi festival in panna

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पन्ना। इस साल होली पर्व 20 को और रंगोत्सव 21 मार्च को पड़ रहा है। होली खुशी, उत्साह और उमंग का पर्व है। पर्व को लेकर जिले के लोग बीते कई दिनों से तैयारियों में जुट गए हैं। बच्चे होलिका दहन के लिए लकडिय़ां इकट्ठा करने और चंदा करने में जुटे हैं तो बड़े रंग-गुलाल, अबीर आदि खरीदने में लग गए हैं।
बाहर रह रहे बेटे-बेटियों और बड़ों के घर वापस लौटने का सिलसिला भी चल रहा है। गौरतलब है कि रंग-गुलाल और उल्लास का त्योहार इस बार 21 मार्च को मनाया जाएगा। लगभग सात साल बाद ऐसा संयोग बना है कि होली गुरुवार के दिन उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में मनेगी। यह नक्षत्र सूर्य का है। सूर्य आत्मसम्मान, उन्नति, प्रकाश आदि का कारक है। होली पर इस बार दुर्लभ संयोग बन रहे हैं।
अनिष्ट दूर करने वाली होगी होली

इन संयोगों के बनने से कई अनिष्ट दूर होंगे। जब सभी ग्रह सात स्थानों पर होते हैं, वीणा योग का संयोग बनता है। होली के दिन इस बार वीणा संयोग व मातंग योग बन रहा है। फाल्गुन कृष्ण अष्टमी 14 मार्च से होलाष्टक की शुरुआत हो गई है। होलाष्टक आठ दिन को होता है। लगभग सात वर्षों के बाद देवगुरु बृहस्पति के उच्च प्रभाव में गुरुवार को होली मनेगी। वहीं, होलिका दहन 20 मार्च को रात 9 बजे के बाद किया जाएगा।
यह है पूजन विधि

भगवान जुगल किशोर मंदिर के पुजारी पंडित अवध बिहारी ने बताया, होलिका दहन से पूर्व होली का पूजन करने का विधान है। इस दौरान पूजा करते समय पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठना चाहिए। पूजन करने के लिए माला, रोली, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, पांच प्रकार के अनाज में गेहंू की बालियां और साथ में एक लोटा जल लेकर होलिका के चारों ओर परिक्रमा करनी चाहिए।
यह है मान्यता

सबसे प्रसिद्ध राधा-कृष्ण की होली है, जो हर साल वृंदावन और बरसाना में बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाती है, लेकिन राधा-कृष्ण की होली के अलावा भी इस पर्व से जुड़ी कई और कथाएं भी हैं। होलिका के बारे में धार्मिक मान्यता है हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रहलाद की विष्णु भक्ति से नाराज होकर बहन होलिका को उसे खत्म करने का आदेश दिया था। होलिका के पास यह शक्ति थी कि आग से उसको कोई नुकसान नहीं होता था।
भाई के आदेश का पालन करते हुए होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर चिता में बैठ गई, लेकिन प्रहलाद को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त थी, इसलिए होलिका आग में स्वयं भस्म हो गई और प्रहलाद सकुशल बच गए। होली का त्योहार राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी से भी जुड़ा हुआ है। बसंत के इस मोहक मौसम में एक दूसरे पर रंग डालना उनकी लीला का एक अंग माना गया है। होली के दिन वृन्दावन राधा और कृष्ण के इसी रंग में डूबा हुआ होता है।
वीणा और मातंग योग में मनेगा रंगों का त्योहार

पंडित राकेश पाठक के अनुसार होलिका दहन कभी भी भद्रा काल में नहीं किया जाता। इस बार होली पर करीब 10 घंटे तक भद्राकाल रहेगा। भद्राकाल सुबह 10.46 शुरू होगा और रात्रि 8.58 तक रहेगा। भद्रा काल के कारण इस बार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त का समय शाम से न होकर रात 9 बजे से शुरू होगा, इसलिए होलिका दहन रात 9 बजे के बाद ही किया किया जाएगा।
होलिका दहन रात नौ बजे से शुरू हो जाएगा और 12 बजे तक चलता रहेगा। होलिका दहन और होली, दोनों दिन पूर्वा फाल्गुनी और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र पड़ रहे हैं। स्थिर योग में आने के कारण होली को शुभ पर्व माना गया है।
वन संरक्षण के लिए बनें जागरुक

वन विभाग की ओर से वन एवं वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए जंगलों को नहीं काटने की अपील की गई है। वन विभाग की ओर से कहा गया कि वनों के संरक्षण के लिए विशेष रूप से कटिबद्ध एवं जागरुक रहें। हम वन एवं वन्यप्राणी संरक्षण के लिए पूर्ण निष्ठा एवं लगन के साथ सामूहिक प्रयास करें, जिससे जिले के वन आवरण एवं वन्यप्राणियों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि होती रहे।
होली के पावन पर्व पर वन विभाग समस्त प्रबुद्धजनों से यह अपील करता है कि हम पन्ना निवासी वन एवं वन्यप्राणियों के संरक्षण में कोई कोर कसर नहीं रखेंगें। होली के पावन पर्व पर समस्त जिले की जनता से अपील है कि वे न केवल स्वयं वन एवं वन्य प्राणी संरक्षण के लिए प्रतिज्ञा लेंगे, बल्कि अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करें।
होली के पावन पर्व पर जिले की जनता द्वारा उठाया गया यह कदम वन एवं वन्यप्राणी संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। जिले के निवासियों की इस प्रतिज्ञा के फलस्वरूप हम पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में अहम योगदान कर सकेंगे।
देश-विदेश से होली मनाने पन्ना पहुंचने लगे सुंदरसाथ

होली मनाने के लिए श्रीकृष्ण प्रणामी समाज के प्राणनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। यहां अब तक सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। मथुरा-वृन्दावन की तरह यहां मनाया जाने वाले रंग उत्सव को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है। मंदिर में जहां केसर का रंग-गुलाल उड़ता है तो वहीं फूलों की वर्षा सभी सुन्दरसाथ का मन मोह लेती है।
मालूम ही नहीं पड़ता कि कौन श्रद्धालु किस प्रदेश से आया है, क्योंकि यहां आकर सभी एक ही रंग में रंग जाते हैं। यहां अपने-पराए का कोई भेदभाव नहीं रहता। सभी होली की मस्ती में अपने आपको भिगो लेते हैं। इस बार प्राणनाथ मंदिर में होली के उत्सव में शामिल होने अमेरिका, कनाडा, नेपाल, गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित अन्य प्रांतों से श्रद्धालु पहुंचे।
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