पर्वराज पर्युषण के अंतिम दिन दोपहर में भगवान वासुपूज्य स्वामी का मोक्ष कल्याण बडी धूमधाम से मनाया गया। श्रद्वालुओं ने मंत्रों से श्रीजी का अभिषेक पूजन आदि भी किया। मुनिश्री ने सभी धर्माबलंबी बंधु जिन्होंने पिछले 10 दिनों में जो भी र्निजला उपवास, एकाशन, उनोदर आदि व्रत रखकर, पूजन या जिस भी प्रकार से तपस्या की है सभी को आशीर्वाद प्रदान किया। कार्यक्रम के शुभारंभ में मंगलाचरण अनन्या जैन ने किया। रक्षा करा रक्षा करो कार्ड का भी विमोचन लगभग 150 लोगों द्वारा किया गया। रात्रिकालीन शास्त्र सभा व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बच्चों की फैंसी ड्रेस काम्पटीशन प्रतियोगिता हुई। आगामी 16 सितम्बर को विशाल नगर फेरी (श्रीजी का विमान शोभायात्रा) दोपहर 1 बजे से निकाला जाएगा।
ग्राम बड़वारा स्थित चंदा प्रभु जिनालय में देवेंद्रनगर जैन समाज के लोगों ने महा मस्तकाभिषेक किया। पूजा-अर्चना के बाद देवेंद्रनगर दिगंबर जैन मंदिर में सभी बेदियों के मूलनायक भगवान का महामस्त का अभिषेक हुआ। पूजन अर्चना के साथ ही धार्मिक व आध्यात्मिक कार्यक्रम पूरे दिन चलते रहे। सत्य मति माताजी ने पर्युषण पर्व के दसवें दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म को समझाया। माताजी ने कहा, आत्मा ही ब्रह्म है । उस ब्रह्म स्वरूप आत्मा में चर्या करना रमण करना ब्रह्मचर्य है। असल में हमारी ऊर्जा निरंतर बाहर की ओर बह रही हैं, जिससे हम क्षीण कमजोर हो रहे हैं। ब्रह्मचर्य और उस ऊर्जा को केंद्रित कर आत्मा स्फूर्ति प्रदान करता है। तेजस्विता और बल प्रदान करता है। प्रवचन के पूर्व हेमश्री माताजी ने कहा, साधक तो साधना करते ही हैं। गृहस्थ को भी अपनी मर्यादाओं का ख्याल रखना चाहिए। वैवाहिक जीवन जीकर एक पर केंद्रित करने वाला गृहस्थी ब्रह्मचारी माना गया है। बंधन को स्वीकार कर जीवन पर्यंत निर्वाह करना यह भारतीय समाज में गृहस्थ धर्म की व्यवस्था है।