खदान बंद होने के बाद भी यूपी के कारोबारियों ने केन नदी की धार रोककर करीब डेढ़ किमी लंबा अवैध मार्ग बना लिया है। यह मार्ग पन्ना के भीना और छतरपुर के मातिया को तो जोड़ता ही है साथ ही यूपी के बिल्हरका गांव तक पहुंचा देता है। अवैध रूप से रेत का कारोबार करने वाले लोग दो राज्यों के तीन जिलों के अधिकारियों ंको चकमा देकर बड़ी आसानी से रेत का अवैध परिवहन, अवैध उत्खनन और अवैध विक्रय कर रहे हैं।
इस अवैध रेत को वैध बनाने के लिये ट्रकों को छतरपुर जिले की हररई खदान व पन्ना जिले की रामनई रेत खदान के पिटपास उपलब्ध कराए जा रहे हैं। गौरतललब है कि जिले की चंादापाटी खदान इस साल बंद है। करीब चार करोड़ का राजस्व बकाया है, जिसे ठेकेदार ने जमा नही किया है। इससे इसे शासन स्तर पर इस साल के लिये बंद कर दिया गया है। रेत खदान बंद होने के बाद यूपी के रेत कारोबारियों ने यहां करीब डेढ़ किमी लंबे अवैध मार्ग का निर्माण दी और आसपास के क्षेत्र में किया है।
करीब डेढ़ किमी लंबे इस मार्ग में नदी के अन्दर खदान क्षेत्र में लगभग डेढ़ किमी का रास्ता बना कर भीना गांव तक जोड़ा गया है। वही से छतरपुर जिले के मोतिया गाव के लिये रास्ता बनाया गया है। छतरपुर जिले के रेत उठाकर भारी भरकम मशीनो से ट्रकों में लोड कर चांदी पाठी के रास्ते गांव के पहले से चंद खेत पार कर यह उप्र के बिल्हरका गांव पहुंच जांते हैं। उप्र की सीमा मे प्रवेश कर बिल्हरका पुल से उप्र के ट्रक करतल होते हुए व मप्र के ट्रक नहर रोड से लौलास होते हुए बीरा मार्ग से गंतव्य स्थान की ओर चले जाते है।
स्थानीय प्रशासन की मिली भगत बंद रेत खदान पर करीब डेढ़ किमी लम्बा रास्ता बनाया गया। स्थानीय प्रशासन को इसकी कानों कान भनक नहीं लगे ऐसा संभव ही नहीं है। स्थानीय प्रशासन पुलिस की मिली भगत की आशंका जताई जा रही है। छतरपुर जिले की रेत मप्र व उत्तर प्रदेश को भेजी जा रही है। जब मौके का दौरा किया गया तो वहां पर एक उपस्थित ग्रामीण अपने बैलों को लेकर खड़ा था। जिसने बताया कि चन्दौरा चौकी को सुविधा शुल्क देकर यह रेत कारोबारी अपना कारोबार चला रहे हैं। यह रास्ता भी मशीनों द्वारा बनाया गया था। रेत कारोबारियों का इतना दबदबा है कि कोई ग्रामीण इनके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं करता है।
इनके द्वारा प्रशासन को भ्रमित करने व कार्रवाई से बचने के लिये जगह-जगह प्वाइंट बनाकर अपने लोगों को खड़ा कर दिया गया है। अगर चांदीपाटी तरफ से कोई प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे तो यह मशीनें छतरपुर जिले में सुरक्षित रख लेते हैं और ट्रकों को भीना मार्ग से निकाल देते हंै। यह मोतिया गांव की रेत खदान पूर्णत: अवैध है।
इससे निकलने वाले वाहनों को छतरपुर जिले की हररई खदान व पन्ना जिले की रामनई रेत खदान के पिटपास उपल्बध कराये जाते हैं। जब चांदीपाटी की रेत खदान बंद है तो इतने लंबे रास्ते को तुड़वाकर यहां पर हो रहे अवैध उत्खनन परिवहन बंद किया जा सकता है, लेकिन स्थानीय लोगों की मिली भगत के चलते कारोबारी तीन जिलों के अमले को चमका देने में सफल हा रहे हैं।
नियमित रूप से हो रहा परिवहन क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि अवैध खदान से लाई गई रेत से भरे ट्रकों का उक्त मार्ग से नियमित रूप से आवागमन हो रहा है। बताया गया कि प्रतिदिन १५ से २० ट्रक उक्त मार्ग से होकर यूपी के ग्राम बिल्हरका पहुंचते हैं। जहा से पुल पार करने के बाद वे करतल से गंतव्य तक पहुंचते हैं। मामले की जानकारी होने के बाद भी प्रशासनिक अमले द्वारा नदी में बनाए गए उक्त अवैध मार्ग को तोडऩे के प्रयास कभी नहीं किए गए है। इससे स्थानीय प्रशासन की भूमिका भी संदिग्ध नजर आती है।
अवैध व ओवरलोड रेत परिवहन पर प्रतिदिन कार्रवाई की जा रही है। चांदीपाटी रेत खदान के अवैध रास्ते की जानकारी नहीं है । अभी मामला संज्ञान में लाया गया है। राजस्व अमले से इसकी तस्दीक कराई जाएगी। अगर वहां पर अवैध रास्ता बना है तो उचित कार्रवाई की जाएगी।
आयुषी जैन, एसडीएम, अजयगढ़
आयुषी जैन, एसडीएम, अजयगढ़