प्रस्तावित स्केट बोर्ड पार्क का डिजाइन जर्मन डिजाइन ने तैयार किया है। जिसे स्थानीय लोगों द्वारा बनाया जाएगा। नुपादा में परियोजना के शुभारंभ पर जनवार में स्केट बोर्ड पार्क की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली जर्मन महिला उलरिके रेनहार्ट भी मौजूद थीं। उन्होंने एक डाक्यूमेंट्री के माध्यम से बताया कि वे जनवार में क्या कर रही हैं कैसे कर रही हैं और किस लिए कर रही हैं।
भोपाल की शहरी सेटिंग में होगी जनवार मॉडल की परीक्षा
उलरिके ने बताया, जनवार मॉडल को भोपाल की स्लम बस्ती में बनाया जाएगा। जहां भोपाल गैस त्रासदी से पीडि़त परिवार के अधिकांश लोग रहे हैं। यह पूरा क्षेत्र झोपड़पट्टी से घिरा है। स्केेट पार्क में शहरी सेटिंग से जनवार मॉडल का परीक्षण किया जाएगा।
उलरिके ने बताया, जनवार मॉडल को भोपाल की स्लम बस्ती में बनाया जाएगा। जहां भोपाल गैस त्रासदी से पीडि़त परिवार के अधिकांश लोग रहे हैं। यह पूरा क्षेत्र झोपड़पट्टी से घिरा है। स्केेट पार्क में शहरी सेटिंग से जनवार मॉडल का परीक्षण किया जाएगा।
बेंगलुरु के प्रोटोविलेज में भी होगा प्रयोग
बेंगलुरु से करीब 120 किमी. उत्तर में 13 किमी. क्षेत्र में एक प्रोटोटाइप गांव विकसित किया जा रहा है। टिकाऊ निर्माण की थीम पर बन रहे गांव का निर्माण 15 लोगों की टीम द्वारा किया जा रहा है। इसमें किचन गार्डन, स्कूल, थियेटर खेल सहित कई चीजों को शामिल किया जाएगा।
बेंगलुरु से करीब 120 किमी. उत्तर में 13 किमी. क्षेत्र में एक प्रोटोटाइप गांव विकसित किया जा रहा है। टिकाऊ निर्माण की थीम पर बन रहे गांव का निर्माण 15 लोगों की टीम द्वारा किया जा रहा है। इसमें किचन गार्डन, स्कूल, थियेटर खेल सहित कई चीजों को शामिल किया जाएगा।
80 गांव के लोग प्रभावित होंगे स्केट बोर्ड पार्क इस प्रोटोटाइप विलेज का प्रमुख हिस्सा होगा। पूरा गांव सौर ऊर्जा से संचालित होगा और यहां खेती पूरी तरह से आर्गेनिक होगी। गांव से आसपास के 80 गांव के लोग प्रभावित होंगे। जनवार के बच्चे भी वहां जाएंगे और प्रोटोविलेज के लिए माहौल तैयार करेंगे।
ओडिशा में शुरू हुआ काम
जनवार मॉडल की सफलता से प्रेरित होकर ओडिशा के नुपादा जिले के एसपी ने थाना परिसर को कम्युनिटी सेंटर के रूप में विकसित करने का प्रयास किया। इसके तहत थाना परिसर को कम्युनिटी सेंटर के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत बुधवार को प्रयास परियोजना के तहत इसकी विधिवत शुरुआत भी की गई। यहां नक्सल प्रभावित परिवार के बच्चों को जोड़ा जाएगा।
जनवार मॉडल की सफलता से प्रेरित होकर ओडिशा के नुपादा जिले के एसपी ने थाना परिसर को कम्युनिटी सेंटर के रूप में विकसित करने का प्रयास किया। इसके तहत थाना परिसर को कम्युनिटी सेंटर के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत बुधवार को प्रयास परियोजना के तहत इसकी विधिवत शुरुआत भी की गई। यहां नक्सल प्रभावित परिवार के बच्चों को जोड़ा जाएगा।
हम सिर्फ मार्गदर्शक की भूमिका में यहां उरलिके ने लोगों को बताया कि उन्होंने जनवार में किस तरह से काम किया। साथ ही उन्होंने बताया, गांव के लोग और बच्चे ही तय करते है कि उन्हें किस तरह से और कितनी तेजी वे विकास करना है। हम सिर्फ मार्गदर्शक की भूमिका में होते हैं। यहां बनाने के लिए स्केट बोर्ड पार्क का डिजाइन तैयार हो चुका है। इस अवसर पर बच्चों और पुलिस ने पेंटिंग भी बनाई।
जनवार में 3 साल पहले स्केट बोर्ड पार्क की स्थापना
जनवार में करीब 3 साल पहले स्केट बोर्ड पार्क की स्थापना की गई थी। यह देश का पहला और सबसे बड़ा रूरल स्केट बोर्ड पार्क है। यहां स्केट बोर्ड पार्क (खेल मैदान) की ओर धीरे-धीरे बच्चे आकर्षित हुए और उन्होंने अब तक जो घरों में सीखा था उससे कुछ अलग करने लगे। खेल के प्रति उनकी रुचि बढऩे पर इसे शिक्षा से भी जोड़ा गया। इससे खेल के कारण बच्चों में शिक्षा के प्रति भी रुचि जागने लगी।
जनवार में करीब 3 साल पहले स्केट बोर्ड पार्क की स्थापना की गई थी। यह देश का पहला और सबसे बड़ा रूरल स्केट बोर्ड पार्क है। यहां स्केट बोर्ड पार्क (खेल मैदान) की ओर धीरे-धीरे बच्चे आकर्षित हुए और उन्होंने अब तक जो घरों में सीखा था उससे कुछ अलग करने लगे। खेल के प्रति उनकी रुचि बढऩे पर इसे शिक्षा से भी जोड़ा गया। इससे खेल के कारण बच्चों में शिक्षा के प्रति भी रुचि जागने लगी।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रशिक्षण दिलाया पहले जहां गांव के स्कूल खाली रहते थे वहीं बच्चों की उपस्थिति के साथ उनके शिक्षा के स्तर में सुधार भी आया है। खेलों में भी वे परिवक्त हो रहे हैं। आशा को अंग्रेजी कल्चर समझने और सीखने के लिए पांच सप्ताह के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रशिक्षण दिलाया गया तो अर्जुन व अन्य तीन बच्चों को पांच सप्ताह के यूरोपियन देशों का टूर कराया गया।
विकास की राह पर दौडऩे को तैयार इससे बच्चों ने उन देशों के कल्चर और खेल को सीखा। उनके आने के बाद से जहां पहले गांव सोया-अलसाया सा लगता था वहीं आज विकास की राह पर दौडऩे को तैयार दिखता है। यह बदलाव कैसे आया इसे जानने और समझने के लिए देश और दुनियाभर से लोग जनवार आ रहे हैं। लोगों को घरों में ही रुकवाकर उनके लिए आय के साधन भी बनाए जा रहे हैं।