मंदिर के पुजारी अरविंद्र कुमार शर्मा के अनुसार, मंदिरों की नगरी पन्ना का जुगल किशोर मंदिर संपूर्ण देश में अनूठा मंदिर माना जाता है। यहां श्रद्धालुओं को राधा कृष्ण की जोड़ी के अनुपम दर्शन होते हैं। कहा जाता है कि, श्रीकृष्ण की मुरलिया में बेशकीमती हीरे जड़े गए थे, जिसे लेकर सैकड़ों साल से यहां भजन गाया जाया रहा है कि, पन्ना के जुगल किशोर हो, मुरलिया में हीरा जड़े है। मंदिर का निर्माण संवत 1813 में तत्कालीन पन्ना नरेश हिन्दूपत द्वारा कराया गया था। मंदिर में स्थापित राधा कृष्ण की जुगल जोड़ी ओरछा से पन्ना लाई गई थी। समूचे बुंदलेखंड में इस मंदिर में विराजित भगवान जुगलकिशोर, कृष्ण भक्तों की आस्था का केंद्र है। इसलिए पन्ना को बुंदेलखंड के वृंदावन की संज्ञा भी दी जाती है।
यहां जन्माष्टमी पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस वर्ष की जन्माष्टमी में ज्यादा भीड़भाड़ देखने नहीं मिलेगी। लेकिन फिर आज सुबह से ही भक्तों का मंदिर में तांता लगा हुआ है। मान्यता है कि, भगवान जुगलकिशोर सरकार का प्रशाद तब लगता है, जब उनकी जनता भोजन कर लेती है। यानी पन्ना नगर की जनता के भोजन के पश्चात भगवान जुगल किशोर सरकार का प्रसाद लगता है। इसलिए भगवान जुगल किशोर सरकार के प्रसाद का समय दोपहर ढाई बजे और रात्रि में व्यारी के रूप में साढ़े 10 बजे प्रसाद लगाया जाता है। इसी प्रथा के कारण भगवान जुगलकिशोर सरकार को पन्ना जिले का आराध्य व पालनहार कहा जाता है।
वहीं, अगर मंदिर में विराजमान भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति की बात करें, तो बुंदेलखंड में जुगलकिशोर सरकार के नाम से प्रशिद्ध है। यहां विराजमान राधा-कृष्ण की जुगल जोड़ी को ही जुगलकिशोर कहा जाता है। जानकारों की माने, तो भगवान श्रीकृष्ण पहले ओरछा में विराजमान थे और उन्हें तत्कालीन राजा हिंदुपत व दीक्षित परिवार के द्वारा पन्ना में विराजित कराया गया था। कहते हैं कि, ओरछा के तत्कालीन राजा मधुकरशाह और उनकी प्रजा श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त थी। लेकिन महारानी कुंवर गनेशी ने ये प्रतिज्ञा की कि, वे अपने आराध्य रामराजा को लेकर ही ओरछा वापस आएंगी, पर साथ में महारानी की ये भी विशेष शर्त तय हुई थी कि, तब ओरछा राज्य में एक ही राजा की सरकार रहेगी। अर्थात रामाराजा सरकार या श्री जुगल किशोर सरकार, तो महाराज ने इसे स्वयं की सरकार या रामराजा की सरकार के अर्थ में लिया।
जब महारानी भगवान श्रीराम को अयोध्या से ओरछा लेकर आईं, तो महाराज ने नए राजा को यानी राम राजा राज्य सौंपने के लिये अपनी राजधानी टीकमगढ़ स्थानांतरित कर दी, जिसके बाद पन्ना के राजा और दीक्षित परिवार के द्वारा जुगल किशोर सरकार को पन्ना ले आए। यहां आने पर उन्हें विंध्यवासिनी मंदिर में अस्थाई रूप से रहना पड़ा और फिर स्थाई रूप से भगवान जुगल किशोर जी को वर्तमान के जुगल किशोर मंदिर में विराजित करवाया गया। इसलिए ओरछा में रामराजा सरकार हुए और पन्ना श्री जुगलकिशोर सरकार हो गए। ये मंदिर भवन निर्माण की बुंदेली छाप लिए उत्तर मध्यकालीन वास्तुशिल्प के अनुरूप निर्मित है।
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प्रत्येक अमावस्या पर विशेष दर्शन
मंदिर जानकार एवं भक्त संतोष तिवारी के अनुसार, समुचे बुंदेलखंड के वासियों के लिए भगवान जुगल किशोर का पवित्र मंदिर आस्था का केन्द्र है। प्रत्येक अमावस्या के दिन समूचे बुंदेलखंड से श्रद्धालु भगवान के दर्शन करने आते हैं।ऐसी मान्यता है कि, अमावस्या के दिन यहां जुगल किशोर सरकार से मांगने पर हर मनोकामना पूरी होती है। ये भी जनमान्यता है कि, चारों धाम की यात्रा की हो या किसी भी तीर्थ स्थल की यात्रा लौटकर यहां हाजिरी न दी तो सब निष्फल होता है, इसलिए चारो धाम की यात्रा के बाद पन्ना के जुगल किशोर सरकार के दर्शन करने से चारो धाम की यात्रा सफल हो जाती है।