scriptकलयुगी मानव के उद्धार के लिए सुदामा और कृष्ण जैसी मित्रता होना जरूरी | Kalyugi to be a friend like Sudama-Krishna for the salvation of humans | Patrika News

कलयुगी मानव के उद्धार के लिए सुदामा और कृष्ण जैसी मित्रता होना जरूरी

locationपन्नाPublished: Feb 16, 2020 10:46:46 pm

Submitted by:

Anil singh kushwah

नन्हीं पवई केवार्ड क्रमांक एक में चल रही श्रीमद् भागवत कथा

Sudama character was described, seeing lively tableaux, the psyched

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पवई. नगर के नन्ही पवई वार्ड क्रमांक एक निवासी कमलेश सेन के निवास पर चल रही श्रीमदभागवत कथा में छठे दिन कथा व्यास पंडित रमेश प्रसाद शास्त्री ने श्रीकृष्ण और सुदामा चरित्र की कथा का वर्णन किया।
आज लोग निजी स्वार्थ के लिए करते हैं मित्रता
महाराजश्री ने कहा कि कलयुगी मानव के उद्धार के लिए सुदामा एवं कृष्ण जैसी मित्रता होना चाहिए। व्यक्ति के अंदर अपने मित्र के प्रति छल कपट व स्वार्थ का भाव नहीं होना चाहिए। जरूरत पडऩे पर सहयोग से पीछे नहीं हटे वही सच्चा मित्र होता। कृष्ण बचपन के साथी सुदामा का नाम सुनते ही महल से नंगे पैर दौड़ते हुए मिलने आते है और सुदामा की दीनता को देख आंखों से आंसू बहने लगते हैं। आज उल्टा हो रहा है। लोग निजि स्वार्थों के लिए मित्रता करते है।
गृहस्थ आश्रम ही सर्वश्रेष्ठ
महाराजश्री ने कथा के माध्यम से यह भी बताया कि गृहस्थ आश्रम ही श्रेष्ठ है इसमें सांसारिक सुखों के साथ परमात्मा को प्राप्त किया जा सकता है। पृथ्वी में दिए गए सभी दानों में गौदान है जो भूत भविष्य में कभी नष्ट नही होता। भागवत भव रूपी संसार में श्रीमद् भागवत कथा पार कराने के लिए एक नौका है जो मोक्ष प्राप्त कराती है। कथा सुनने के लिए प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग पंडाल में पहुंचते रहे। कथा का हवन और भंडारे के साथ समापन हो गया। भंडारे में बड़ी संख्या में लोगों ने भगवान का प्रसाद ग्रहण किया।
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