गौरतलब है कि किलकिला फीडर की नहर से पूर्व में नगर के तीन तालाबों लोपकपाल सागर, धरम सागर और सिंह सागर तालाब को बरिश के पानी से भरा जाता था। किलकिला फीडर में करीब ८ वर्ग किमी. क्षेत्रफल का पानी एकत्रित होता था जो नहर के माध्म से तीनों तालाबों को भरकर उन्हें लबालब कर देता था। धीरे-धीरे नहर में अतिक्रमण होने के कारण लोगों ने इसमें कब्जा करके घर बना लिए। इससे बारिश के पानी का तालाब में पहुंचा बंद हो गया। इससे दशकों से लोकपाल सागर पूरा नहीं भर पाया है। अन्य तालाबों की हालत भी कुछ इसी तरह से है।
डिस्ट्रक माइनिंग फंड से शुरू हुआ था काम
बताया गया कि बीते साल माह दिसंबर में डिस्ट्रिक माइनिंग फंड से स्वीकृत करीब ५० लाख रुपए की लागत से नहर के खुले करीब 900 मीटर के हिस्से के गहरीकरण और सफाई का काम 5 दिसंबर से शुरू कराया गया था। इसकी शुरुआत पन्ना के काष्ठागार डिपो के समीप से की गई है। अब बीते कुछ दिनों से नहर के खुले हिस्से का काम पूरा हुए बगैर ही काम बंद हो गया है। इससे नगर के लोगों में असंतोष है।
अतिक्रमण हटाने की चुनौती
जानकारी के अनुसार किलकिला फीडर को पुनर्जीवित कर पन्ना के तालाबों को भरने की योजना का धरातल पर क्रियान्वयन आसान भी नहीं है। नहर के किनारे-किनारे आबाद हुई झुग्गी बस्ती इसे पूरी तरह निगल चुकी है। बीते साल बारिश के पूर्व हुए सर्वे में यहां १३७ आंशिक और १७-१८ मकान पूर्ण रूप से अतिक्रमण मं बने चिन्हित किया गया था। बारिश के समय अतिक्रमण नहीं हटाया गया था। अब बारिश के बाद कई महीने का समय बीत जाने के बाद भी प्रशासन नहर में बने इन अतिक्रमण को नहीं हटा पा रहा है। यह कार्य कितना मुश्किल है।इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कई स्थानों पर नहर के बीचोंबीच विद्युत पोल खड़े है । साथ ही पानी की पाइप लाइन निकली है। इनकी शिफ्टिंग करना और अतिक्रमण हटाने के बाद आवागमन के लिए नहर के दोनों किनारों को जोडऩे वाले रास्तों का निर्माण करना आसान नहीं होगा।
लोकपाल सागर तालाब को मिलेगा सबसे अधिक फायदा
लोकपाल सागर तालाब की सिंचाई क्षमता वैसे तो 520 हैक्टेयर है , लेकिन पिछले कई सालों से तालाब में पूर्ण क्षमता तक जल भराव नहीं होने के कारण महज 220 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो रही है। इस तालाब की जल भराव क्षमता 6.20 मिलियन क्यूबिक मीटर है। लेकिन इस झीलनुमा तालाब को भरने वाली किलकिला फीडर नहर के वर्ष 1984 के बाद बंद होने के बाद यह तालाब अपनी पूर्ण क्षमता तक नहीं भर सका। शहर के नजदीक स्थित होने से लोकपाल सागर तालाब से पन्ना में पेयजल की आपूर्ति के लिए 1 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी आरक्षित रहता है। इसलिए अल्प वर्षा की स्थिति में तालाब में कम भराव होने से जहां पेयजल संकट से लोगों को जूझना पड़ता है वहीं किसानों को भी सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है।
किलकिला फीडर के काम के लिए टेंडर लग गए हैं। जल्द ही विभाग द्वारा कराया जाने वाला काम शुरू हो जाएगा। जल संसाधन विभाग द्वारा 1970 में किलकिला फीडर नहर का निर्माण धरम सागर, सिंह सागर और लोकपाल सागर तालाब को भरने के लिए कराया था। किलकिला फीडर की नहर को पुनर्जीवित होने के बाद कई दशकों तक पानी की समस्या नहीं होगी।
बीएल दादौरिया, ईई जल संसाधन संभाग पन्ना
नहर के खुले हिस्से में काम बंद नहीं हुआ है। हो सकता है कि शिवरात्रि पर्व के कारण मजदूर इन दिनों नहीं आ रहे हों।
दीपा चतुर्वेदी, तहसीलदार पन्ना
फैक्ट फाइल
किलकिला फीडर का जलग्रहण क्षेत्र : 7.75 वर्ग किमी
किलकिला फीडर नहर की लंबाई : 6 किमी
लोकपाल सागर तालाब का निर्माण वर्ष : 1902
नहर का निर्माण वर्ष : 1970
नहर से तालाबों में पानी पहुंचना बंद हुआ : 1984 से
लोकपाल सागर भराव क्षमता: 6.20 मिलियन क्यूबिक मीटर
लोकपाल सागर तालाब की सिंचाई क्षमता :520 हैक्टेयर लगभग
वर्तमान में हो रही कुल सिंचाई : 220 हैक्टेयर लगभग
लोकपाल सागर से पेयजल के आरक्षित पानी:1 मिलियन क्यूबिक मीटर
(आंकड़े जल संसाधन संभाग पन्ना के अनुसार)