खरीद केंद्रों में अनाज छन्ने और तौल कांटों की कमी बनी है।गौरतलब है कि अनाज खरीद केंद्रों में किसान अच्छी गुणवत्ता वाला अनाज लेकर ही आएं इसके लिए एफएक्यू सेंटरों में जिलेभर के किसानों को प्रशिक्षत किया गया है। इसके बाद भी देखा जा रहा है कि गुणवत्ता वाले अनाज को छानना पड़ रहा है।
इससे किसानों का समय बर्बाद तो होता ही है और मजदूरी भी बढ़ जाती है। खरीद केंद्रों में भी छन्ने कम संख्या में हैं। जब एक किसान का अनाज छन रहा होता है तो अन्य को इंतजार करना पड़ता है। केंद्रों में तौल कांटे भी कम हैं। कहीं पर एक तो कहीं पर दो ही हैं।
44 डिग्री तापमाान में भी डटे किसान जिला मुख्यालय के समर्थन मूल्य पर अनाज खरीद केंद्र कृषि उपज मंडी में देखा गया कि 44 डिग्री तापमान में भी किसान अनाज छनवाने में लगे थे। यहां एक ही छन्ना और तौल कांटा मौजूद था, जबकि करीब आधा दर्जन ट्रैक्टर अनाज से लदे खड़े थे। इसी तरह की अव्यवस्था करीब-करीब सभी खरीद केंद्रों में देखी जा रही है।
खरीद केंद्रों में तेज हुई अनाज की आवक लोकसभा चुनाव और अक्षय तृतीया के कारण अधिकांश किसान व्यस्त थे। इससे वे अनाज लेकर खरीद केंद्रों तक कम ही पहुंच पा रहे थे। अब चुनाव भी निपट चुका और अक्षय तृतीया में होने वाले वैवाहिक कार्यक्रम भी हो चुके हैं। थ्रेसिंग का कार्य भी करीब पूरा हो चुका है। इससे अब किसान अनाज खरीद केंद्रों पर पहुंचने लगे हैं।
पूर्व की अपेक्षा बीते दो दिन से जिले के सभी खरीद केंद्रों में अनाज की अच्छी आवक शुरू हो गई है। इससे अब खरीद केंद्रों में धीरे-धीरे अव्यवस्थाएं हावी होने लगी हैं। आगामी दिनों में खरीद केंद्रों में और अधिक किसानों के पहुंचने की उम्मीद है।
बीते साल के अनुभव से सबक लेना जरूरी गौरतलब है कि बीते साल जिले के कई अनाज खरीद केंद्रों में भारी अव्यवस्था फैल गई थी। अनाज खरीदने के बाद समय पर भंडार गृह के लिए परिवहन नहीं होने के कारण गुनौर, सेमरिया और शाहनगर के खरीद केंद्रों सहित कई जगह समस्या हुई थी।
अमानगंज, गुनौर और शाहनगर आदि स्थानों पर किसानों ने कई-कई दिनों तक अनाज की तौल नहीं हो पाने पर हंगामा भी किया था। समय पर खरीदे गए अनाज का परिवहन नहीं होना बड़ी समस्या बन जाता है। जिम्मेदार अधिकारियों को इस ओर ध्यान देना होगा। जिससे किसानों की समस्याओं को कम किया जा सके।