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पन्ना

बुंदेलखंड के वृंदावन में जन्मेंगे कन्हाई, अनुपम होगा मंदिर का सौंदर्य

भगवान जुगल किशोर मंदिर में मथुरा-वृंदावन की तहर निभाई जा रहीं जन्मोत्सव और पूजन की परंपराएं, जिले के आधा दर्जन से अधिक मंदिरों में मनाया जाएगा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव। भगवान के लिए मथुरा से आए विशेष वस्त्र, वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मनाया जाएगा जन्मोत्सव।

पन्नाSep 02, 2018 / 09:29 pm

Rudra pratap singh

Krishna born in bundelkhand's vrindavan jugal kishore temple of panna

Krishna born in bundelkhand’s vrindavan jugal kishore temple of panna

पन्ना. बुंदेलखंड के वृंदावन के रूप में विख्यात नगर के भगवान जुगल किशोर मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को लेकर एक पखवाड़े से तैयारियां चल रही हैं। मंदिरों की नगरी के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक जुगल किशोर मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मष्टमी को लेकर मंदिर को आकर्षक तरीके से सजाया और संवारा जा रहा है। मंदिर के बाहर जहां मजदूरों और कारीगरों द्वारा मंदिर को सजाया जा रहा है वहीं दूसरी ओर मंदिर के गर्भगृह में करीब आधा दर्जन पुजरियों की टीम साफ-सफाई करने के साथ ही गर्भगृह को संवारने में दिनभर लगी रही। भगवान जुगल किशोर का यह मंदिर यहंा सलभर में निभाई जाने वाली परंपराओं को लेकर भी चर्चित रहता है। यहंा सालभर में भगवान विष्णु के सभी अवतारों की सजने वाली झांकी आकर्षण का केंद्र होती है। शहर के बीचोंबीच स्थित यह भव्य मंदिर शहर की आस्था का केंद्र विंदु भी है।
ढाई सौ साल से भी अधिक पुराने इस मंदिर और भगवान जुगल किशोरजू के चमत्कारों को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। यहां पूरे साल सजने वाली अलग-अलग झांकियां लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहती हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी यहां मनाया जाने वाला साल का सबसे बड़ा त्यौहार है। आयोजन की तैयारियों को लेकर प्रशासनिक स्तर की तैयारियों के बाद अब मंदिर में तैयारिया चल रही हैं। दीपावली में यहां पूरे बुंदेलखंड से देवारी नृत्य करने वाले यदुवंशी आकर्षण का केंद्र रहते हैं तो होली में तीज को सजने वाली भगवान के सखी भेष की झांकी और पंचमी पर होने वाली टेसू के फूल और गुलाल की होली। भगवान जुगल किशोर के प्रति यहां के लोगों में असीम श्रद्धा है। एक ओर जहां भगवान चमत्कार दिखाते हैं वहीं दूसरी ओर वे साधारण इंसानों की तरह ही पितृपक्ष में अपने पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिये तर्पण भी करते हैं। यहां अभी वे एक अगुंली में पर्वत उठाने वाले गिरधारी के रूप में नजर आते हैं तो कभी भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिये नृसिंह के रूप में। कभी राधा के रूप में सजकर ग्वालिनों संग गुलाल की होली खोलते हैं तो कभी वामन अवतार के रूप में नजर आते हैं। यहां भगवान के दर्शन को लेकर पूरे बुंदेलखंड में भगवान की असीम आस्था है।
मंदिर में आज रहेगी जन्माष्टमी की धूम
नगर के भगवान जुगल किशोर मंदिर में आज मनाया जाएगा श्रीकृष्ण जन्मोत्सव। इसके लिए मंदिर को श्रीकृष्ण मंदिरों को आकर्षक लाइटिंग से सजाया गया है। मंदिर का सौंदर्य देखते ही बनता है। भगवान जुगल किशोर मंदिर के पुजारी अवध बिहारी बताते हैं कि जन्मोत्सव के लिए हर साल भगवान के वस्त्र मथुरा-वृंदावन से मंगवाए जाते हैं। जन्मोत्सव के आयोजन की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। 3 सितंबर की रात को ठीक 12.00 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। जिसकी तैयारियां अब अंतिम दौर में पहुंच गई हैं। कृष्ण जन्मोत्सव आयोजन के अन्तर्गत हजारा आरती 12 बजे उतारी जाएगी एवं दर्शनार्थियों को प्रसाद वितरण किया जाएगा। मंदिर प्रांगण में दधिकांदो एवं भवन कीर्तन का कार्यक्रम 4 सितंबर को दोपहर 3.30 बजे से शाम 6.30 बजे तक आयोजित किया जाएगा। इसी दिन कृष्णजी की शयन आरती के बाद रात 10.30 बजे से रात 2 बजे तक विशाल भंडारा भोज का आयोजन किया जाएगा। मंदिर परिसर में भंडारे की तैयारियां भी अभी से शुरू हो गई हैं।
साल में दो बार बदलता है मंदिर के खुलने और बंद होने का समय
होली तीज से औपचारिक रूप से गर्मी की शुरुआत भी मानी जाती है। इसी कारण से होली तीज के बाद नगर के मंदिर के खुलने और बंद होने के समय में परिवर्तन हो जाता है। होली तीज से भगवन जुगल किशोर मंदिर में भगवान की की मंगल आरती के दर्शन ५ बजे से ५.१० तक , तरह से सुबह कनक कटोरा की आरती के दर्शन सुबह ७ बजे से ७.१० बजे तक होते हैं। दोपहर में १२ बजे की आरती और दोपहर १२ से २.३० बजे तक दर्शन का का समय पूरे पूरे साल एक समान ही रहता है। शाम को 7.30 बजे आरती और रात्रि दर्शन १० बजे तक होंगे। रात 10.30 बजे भगवान की व्यारी और शयन आरती होगी। जबकि ठंड के दिनो में मंगल आरती 5.30 से होती है। कनक कटोरा के दर्शन भी ८ बजे होते हैं। इसी तरह से शाम को आरती7.00 बजे और रात्रि दर्शन का समय 10.00बजे होते हैं।
यहंा भगवान के चमत्कार की कई कहानियां

१. जब भगवान बच्चों के साथ खेले गिल्ली डंडा
भगवान जुगल किशोर मंदिर के पुजारी अवध बिहारी बताते हैं कि यू तो भगवान युगल किशोर के साक्षात दर्शन देने के प्रमाण नहीं हैं लेकिन यहां ऐसा कोई नहीं जिसने उनके चमत्कारों के बारे में नहीं सुना हो। ये बताते हैं कि मंदिर के पीछे एक बार बच्चे लोग गिल्ली डंडा खेल रहे थे। उनके से कुर्ता पहने हुए एक बच्चे ने उन बच्चों को खूब पदाया था। जब उसके पदने का समय आया तो मंदिर के खुलने का समय हो चुका था। मंदिर खुलने की आहट होते ही वह बच्चा दाम देना छोड़कर भागने लगा। इसपर उसे साथ खेल रहे मोहल्ले के दूसरे बच्चों ने उसको पकडऩे का प्रयास किया तो बच्चे के कुर्ते का एक हिस्सा बच्चों के हाथ में आ गया। गांव के बच्चे पुजारी के पास पहुंचे और कहने लगे कि एक लड़का उनका दाम देने के समय भागकर मंदिर के अंदर घुस गया है। पुजारी ने उन्हें समझाया कि अभी तो मंदिर के सभी दरवाजे बंद हैं। जब मंदिर ही नहीं खुला तो कोई बच्चा अंदर कैसे जा सकता है, बच्चे थे कि पुजारी की बात को मानने के लिये तैयार ही नहीं थे। बच्चों ने उसे बच्चे के कुर्ते का तुकड़ा भी पुजारी को दिखाया। बच्चों की जिद पर जब पुजारी कुर्ते का तुकड़ा लेकर मंदिर के अंदर बच्चे को तलाश रहे थे तभी उन्होंने देखा कि भगवान जुगल किशोर के कुर्ते का एक हिस्सा भी फटा हुआ है। उन्होंने जब कुर्ते के तुकड़े के भगवान के कुर्ते से मिलाया तो वे आश्चर्य चकित रह गए कि बच्चों के हाथ में मिला कपड़े का तुकड़ा दरअसल भगवान के कुर्ते का ही हिस्सा था। अब उन्होंने अनुमान लगाया कि भगवान ने ही बाल रूप में बच्चों के साथ खेला होगा। कुछ ही समय बाद मंदिर में हुए इस चमत्कार की चर्चा मंदिर से होते हुए शहर और फिश्र पूरे क्षेत्र में फैल गई।
२. और जब भगवान ने हि मतदास को दिए व्यारी के दर्शन
पुजारी अवध बिहारी ने बताया कि बराछ निवासी हि मतदास भगवान के अनन्य भक्त थे। वे भगवान की व्यारी आरती के नियमित दर्शन किया करते थे। एकबार की बात है कि बारिश के समय तेज बारिश होने के कारण वे बीच में कहीं रुक गए गए थे। इससे जब वे मंदिर पहुंचे तो भगवान की व्यारी आरती हो चुकी थी और मंदिर के पट बंद हो गए थे। इससे भक्त हि मतदास बहुत दुखी हुए और उन्होंने भगवान से प्रार्थना की। वे उदास हो चुके थे और मंदिर के गेट में बैठे हुए थे तभी अचानक तेज बारिश होने लगी और बादलों की तेज गडग़ड़ाहट के साथ बिजली की तेज चमक के साथ अचानक मंदिर के बंद पट खुल गए और भक्त हि मतदार को भगवान जुगल किशोर के दर्शन हुए। श्रद्धालुओं की जुबान पर भगवान जुगल किशोर के चमत्कार की दर्जनों कई कहानियां सुनी जा सकती हैं। भगवान का यह मंदिर बड़ा ही चमत्कारी है। कहते हैं यहां साक्षात भगवान विराजते हैं। यहां लोगों की मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
सालभर यह रहते हैं मंदिर के आकर्षण
-. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव: भगवान जुगल किशोर मंदिर में सालभर में अयोजित होने वाला सबसे बड़ा पर्व है। निभाई जाने वाले वृंदावन की परंपरएं लोगों को आकर्षित करती हैं
– देवारी नृत्य: दीपावली उत्सव पर देवारी नृत्य। यहां मनोकामना पूरी होने पर बुंदेलखंड सहित बघेलखंड और माहकौशल क्षेत्र के यदुवंशी देवारी नृत्य करने के लिये पहुंचते हैं। इन्हें देखने के लिये भी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
– सखी भेष की झांकी: यहां साल में सजने वाली भगवान की झांकियों में से सबसे प्रसिद्ध झांकी है। होली पर्व की तीज पर यहां भगवान के सखी भेष की झांकी सजती है। भगवान राधा के वेश में क्विंटलों गुलाल की होली खेलते हैं।
– नृसिंह अवतार : में भगवान ने हिरणाकस्यप को मारकर भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी। वह वामन अवतार भगवान ने राजा बलि को इंद्रासन तक पहुंचने से रोकने के लिए लिया था। भगवन के दोनों अवतारों की झांकिया भी आकर्षण का केंद्र होती हैं।
-राधा अष्टमी: राधा अष्टमी राधारानी के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। इस अवसर पर भगवान जुगल किशोर मंदिर में भगवान की विशेष पूजा-अर्चना होती है।

यहां भी मनाया जाएगा जन्मोत्सव
नगर के भगवान श्रीजुगल किशोर मंदिर के अतिरिक्त नगर के गोविंदजी मंदिर चौक स्थित गोविंदजी मंदिर, बिहारी जू मंदिर, नवल किशोरजी मंदिर, राधाकृष्ण मंदिर और प्राणनाथा मंदिर में भी भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। गोविंदजी मंदिर में जन्मोत्सव 3 सितंबर को रात्रि 11.30 बजे मनाया जाएगा। यहां पर छठी कार्यक्रम 9 सितंबर को रात्रि 8.30 बजे एवं भंडारा कार्यक्रम रात 9 बजे से आयोजित किया जाएगा। प्राणनाथ मंदिर में भी रात को १२ बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इसके अलावा जिले के अन्य मंदिरों में भी श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाए जाने की परंपरा है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव पर बड़ी सं या में श्रद्धालु दिनभर व्रत रखकर रात में जन्मोत्सव के बाद पारन करते हैं। पूजन में खीरे का विशेष महत्व होने के कारण इस अवसर पर खीरे और अन्य फलों की डिमांड भी बढ़ जाती है। आयोजन को लेकर 20 अगस्त को प्रशासनिक अधिकारियों, मंदिर समिति के सदस्यों की बैठक भी आयोजित की जा चुकी है।

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