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विश्रामगंज रेंज के सरकोहां बीट में तेंदुए का शिकार, वन विभाग में मचा हडकंप

locationपन्नाPublished: Jul 21, 2018 10:10:05 pm

Submitted by:

Rudra pratap singh

जिले के दक्षिण वन मंडल के पवई रेंज में ३० मई को सामने आया था तेंदुए के शिकार का मामला। करीब डेढ़ माह पूर्व शिकार के वारदात को अंजाम देने की आशंका। सिर्फ हड्डियों के रूप में मिले अवशेष, जांच के लिये भेजा जाएगा जबलपुर लैब।

Leopard hunt Sarkohn Beat vishram ganj range in panna

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पन्ना. जिले के पवई रेंज में तेंदुए के शिकार की घटना के कुछ ही दिन बाद अब विश्रामगंज रेंज के सरकोहा बीट में एक तेंदुए के शिकार की घटना सामने आई है। वन विभाग के अधिकारियों द्वारा तेंदुए के अवशेष देखकर आशंका जताई जा रही है कि करीब एक से डेढ़ माह पूर्व तेंदुए का शिकार किया गया होगा। इतने दिनों तक बीट गार्ड को शिकार के वारदात की भनक तक नहीं लग पाई। वन विभाग के आला अधिकारी मुखबिर के माध्यम से शिकार की वारदात में शामिल लोगों को पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं।
डीएफओ उत्तर वन मंडल नरेंद्र सिंह ने बताया, वनमंडल के विश्रामगंज रेंज के सरकोहा बीट में कक्ष क्रमांक ३७८ में एक तेंदुए के शिकार की जानकारी मिली थी। मामले की जानकारी मिलने के बाद वे विभाग के अन्य लोगों के साथ मौके पर गए। जहां उन्होंने देखा कि शिकार हुए तेंदुए की चमड़ी गल चुकी थी और मांस गल चुका था। वह सिर्फ हड्डियों के डांचे के रूप में मिला है। उसके सरीक में नाखूब दांत आदि अंग सुरक्षित पाए गए हैं। उन्होंने बताया, शव का परीक्षण करने के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि शिकार हुआ तेंदुआ बूढ़ा नहीं था। अर्थान व प्रौढ़ रहा होगा। इसके साथ ही यह भी अनुमान है कि शिकार करीब एक से डेढ़ माह पूर्व किया गया होगा। मामले की जानकारी लगने के बाद यहां चल रहे पौधरोपण कार्य का निरीक्षण करने पहुंचे एपीसीसीएफ और अन्य अधिकारियों ने भी मौके का निरीक्षा किया। उन्होने बताया, तेंदुए के अवशेषों को एकत्रित कर लिया गया है। जिन्हें जांच के लिये जबलपुर लैब भेजा जाएगा। जिससे जांच के बाद यह पता चल सकेगा कि तेंदुए की मौत कब और कैसे हुई। साथ ही मौत के समय तेंदुए की उम्र कितनी रही होगी।
दुर्गंध नहीं भाप सके वनकर्मी
सामान्य मवेशी की मौत होने पर भी कई किमी. दूर तक दुर्गंध जाती है। लेकिन तेदुए का शिकार होने के बाद संबंधित बीट गार्ड को एक माह से भी अधिक समय तक पता नहीं चल सका। इससे आशंका है कि वे जंगल ही नहीं जाते होंगे। जंगल के बाहर से ही डयूटी और वनय प्राणियों के सुरक्षा कर होंगे। यदि नियमित रूप से जंगल जा रहे होते तो शिकार की वारदात के साथ ही मांस और चमड़े के सडऩे से उठने वाली दुर्गंध के बारे में जरूर जानकारी होती। अभी भी वन विभाग के किसी कर्मचारी के बजाए एक मुखबिर द्वारा ही शिकार के वारदात की जानकारी दी गई थी। जिससे शिकार की घटना सामने आ सकी।
पवई में भी हुआ था तेंदुए का शिकार
गौरतलब है कि बीते माह दक्षिण वनमंडल के पवई रेंज में भी तेंदुए और भालू के शिकार की वारदात सामने आई थी। जिसमें तेंदुएं और भालू का करंट लगाकर शिकार किया गया था। भालू का शिकार करने के बाद आरोपी उसके महत्वपूर्ण अंगों को काटकर ले गए थे। जिन्हें वन अमले ने बरामद करने के साथ ही आरोपियों को भी गिर तार कर लिया है।

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