इसी के चलते अस्पताल प्रबंधन डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टॉफ की समस्याओं का समाधान करने के बजाए कर्मचारियों पर तानाशाही रवैया अपनाए है। इसको लेकर अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर्स व पैरामेडिकल स्टाफ के बीच टकराव के हालात बन गए हैं। इन्हीं हालातों को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की जिला इकाई की ओर से प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग की गई है।
गौरतलब है कि जिलेभर में जिला अस्पताल ही एकमात्र ऐसा स्थान है जहां मरीजों के इलाज की समुचित सुविधाएं हैं, लेकिन यहां करीब 70 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं, जिनमें सिर्फ 17 ही पदस्थ हैं। इनमें भी शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ एलके तिवारी के पास सीएमएचओ का और हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. वी उपाध्याय के पास सीएस का प्रभार है। इससे जिला अस्पताल सालों से डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है।
हर डॉक्टर को औसतन प्रत्येक दिन 15-16 घंटे ड्यूटी करनी पड़ रही है। लंबे समय से यहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की मांग की जा रही है, पर राजनीतिक शून्यता के कारण जनप्रतिनिधियों ने विशेष पहल नहीं की। पैरामेडिकल स्टॉफ की कमी बहुत खल रही रही है। इससे अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं।
प्रतिदिन अस्पताल की व्यवस्थाओं का निरीक्षण जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं में सुधार के लिए कलेक्टर के निर्देश पर प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा प्रतिदिन अस्पताल की व्यवस्थाओं को लेकर निरीक्षण किया जा रह हा है। निरीक्षण के दौरान मिलने वाली कमियों के संबंध में कलेक्टर को रिपोर्ट दी जाती है। जिस पर सुधार के लिए अस्पताल प्रशासन को निर्देशित किया जाता है। जिला प्रशासन द्वारा लगातार की जा रही सघन मॉनीटरिंग के कारण ही अस्पताल प्रबंधन और स्टाफ आमने-सामने आ गया है।
अस्पताल प्रशासन जहां एक ओर स्टॉफ के नियमित रूप से समय पर सेवा में उपस्थित नहीं होने और सेवा कार्य में लापरवाही के आरोप लगाता रहा है, वहीं दूसरी ओर डॉक्टर्स और स्टॉफ प्रबंधन पर उनके साथ अभद्र व्यवहार करने, तानाशाहीपूर्ण रवैया अपनाने और समस्याओं के समाधान की ओर ध्यान नहीं देने के आरोप लगा रहे हैं।
इसकी सजा मरीजों को भुगतनी पड़ रही है। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार स्टॉफ नर्सों द्वारा दोपहर में 1 से 2 बजे तक वार्ड छोड़कर जाने के कारण कई मरीजों की हालत खराब हो गई थी। इस संबंध में वे कलेक्टर को लिखित में शिकायत देंगे।
डॉक्टर्स कॉलोनी में डाल रहे संक्रमित कचरा बताया गया कि अस्पताल प्रबंधन की ओर से अभी भी डॉक्टर्स कॉलोनी में संक्रमित कचरा डाला जा रहा है। इस कचरे को जला भी दिया जाता है, जबकि यही पास किए गए बोरिंग से पूरे डॉक्टर्स कॉलोनी को पानी की सप्लाई की जा रही है। इससे डॉक्टर्स के संक्रमण का शिकार होने की आशंका बनी रहती है।
इस संबंध में जिला अस्पताल आने वाले प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान भी कई बार दिलाया गया, इसके बाद भी व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हुआ है। इससे डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टॉफ में असंतोष है। इसके साथ ही चेतावनी दी गई है कि यदि समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता है तो वे विरोध दर्ज कराने के लिए बाध्य होंगे।
इन समस्ययाओं को लेकर सौंपा ज्ञापन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष डॉ. योगेंद्र चतुर्वेदी के नेतृत्व में सौंपे गए ज्ञापन में अस्पताल प्रशासक और सीएस पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इसमें बताया गया कि डेथ रिव्यू में बताया गया था कि एसएनसीयू में आक्सीजन चालू करने के लिए स्टाफ की व्यवस्था नहीं की गई थी। इससे गंभीर हादसा हो सकता था।
उक्त संबंध में किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई। अस्पताल प्रशासक अपना काम छोड़कर प्रशासनिक अधिकारियों को राउंड कराने लगते हैं, जबकि यह सीएस या उनके समकक्ष किसी अधिकारी को कराना चाहिए। उनके द्वारा नर्सों से ऐसे काम करने के लिए भी कहा जाता है।
आइएमए के जिलाध्यक्ष डॉ. योगेंद्र चतुर्वेदी का कहना है कि जिला अस्पताल में व्याप्त समस्याओं का समाधान नहीं किया जा रहा है। अस्पताल प्रशासन द्वारा अपना काम करने के बजाए पैरामेडिकल स्टॉफ के साथ अभद्र व्यवहार किया जा रहा है। समस्यओं का निराकरण के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को भी जानकारी दी गई है, इसके बाद निराकरण नहीं होने के कारण ज्ञापन दिया गया है।
अस्पताल प्रशासक हरिशंकर त्रिपाठी के अनुसार डॉक्टरों और स्टॉफ को समय पर अस्पताल आने के लिए बोला जाता है तो उन्हें समस्या नहीं होनी चाहिए। जिला प्रशासन अस्पताल की लगातार मॉनीटरिंग करा रहा है। उनके द्वारा मिलने वाले निर्देशों का पालन कराने के लिए ही डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ को बोला जाता है। अब समय पर आकर काम करना पड़ रहा है तो समस्या हो रही है।