जानकारी के अनुसार शासन की ओर से जिले में संचालित एकमात्र मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला के लिए वर्ष 2018-19 में 23,804 मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने का लक्ष्य रखा गया था, पर अप्रैल से अभी तक करीब 8 हजार स्वास्थ्य कार्ड ही जारी किए गए हैं। बताया गया कि अभी साल में जिलेभर के चार-पांच सौ किसान खुद मिट्टी के नमूने लेकर जांच को प्रयोगशाला पहुंचे हैं। धीरे-धीरे किसानों में मिट्टी के परीक्षण कराने को लेकर जागरूकता आ तो रही है, लेकिन इसकी रफ्तार बेहद कम है। इस कारण फिलहाल यह पूरा काम ग्राम सेवकों के भरोसे चल रहा है।
लैब प्रभारी अभय श्रीवास्तव ने बताया, जिले में वर्ष 2015 से मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला का संचालन किया जा रहा है। पूर्व में इसका संचालन मंडी प्रशासन के अधीन हुआ करता था। वर्ष 2015-16 से इसे कृषि विभाग के अधीन कर दिया गया है। अभी तक जिले में एक ही लैब संचालित है। कुछ अन्य स्थानों पर भी शीघ्र ही लैब का संचालन किया जाएगा।
लैब प्रभारी श्रीवास्तव ने बताया, लगातार किए जा रहे मिट्टी के नमूनों की जांच से पता चलता है कि जिले के पहाड़ीखेड़ा क्षेत्र की मिट्टी में फास्फोरस की मात्रा अधिक थी। किसानों को लगातार समझाइश देने के बाद अब क्षेत्र से आने वाली मिट्टी के नमूनों में फास्फोरस की मात्रा कम होती जा रही है। पवई व गुनौर क्षेत्र के नमूने की जांच से पता चलता है कि वहां की मिट्टी चना, मसूर, गेहूं की फसल के लिए उपयुक्त है। इसी तरह से पहाड़ीखेड़ा क्षेत्र की मिट्टी सरसों, चना, गेहूं के लिए उपयुक्त है। शाहनगर क्षेत्र की जमीन धान की फसल के लिए अच्छी है। इसी प्रकार से हार्डीकल्चर से संबंधित फसलों के लिए क्षेत्र विशेष में अच्छी संभावनाएं हैं।
18-19 23408 8000
17-18 24627 24630
16-17 43000 43249
(आंकड़े प्रयोगशाला के अनुसार) व्यवस्थाओं में काफी सुधार आया
मिट्टी परीक्षण को लेकर किसानों में धीरे-धीरे जागरुकता आ रही है। अब चार-पांच सौ किसान हर साल मिट्टी के नमूने लेकर जांच के लिए आते हैं। पहले स्टॉफ की भी कमी थी। अब प्रयोगशाला में पर्याप्त स्टॅाफ है। व्यवस्थाओं में काफी सुधार आया है। नमूने लेने के लिए गर्मी का सीजन सबसे उपयुक्त होता है। उस समय मिट्टी में नमी कम रहने से नमूने लेने में आसानी रहती है।
अभय श्रीवास्तव, लैब प्रभारी