scriptन डॉॅक्टर न टेक्नीशियन, शुरू कर दिया 3.76 करोड़ की लागत से बना ट्रामा सेंटर, मरीजों को सुविधा देने के नाम सिर्फ खानापूर्ति | Neither doctor nor technician, started trauma center costing 3.76 cror | Patrika News

न डॉॅक्टर न टेक्नीशियन, शुरू कर दिया 3.76 करोड़ की लागत से बना ट्रामा सेंटर, मरीजों को सुविधा देने के नाम सिर्फ खानापूर्ति

locationपन्नाPublished: Oct 13, 2019 07:31:49 pm

Submitted by:

Anil singh kushwah

12 लाख आबादी की सुविधा से जुड़े मामले पर निष्क्रिय साबित हो रहे जनप्रतिनिधि

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पन्ना. पन्ना जिला अस्पताल परिसर में 3.79 करोड़ की लागत से बना ट्रामा सेंटर लोकार्पण के करीब एक माह बाद शनिवार से शुरूहो गया। ट्रामा सेंटर के लिए अभी तक एक भी नया डॉक्टर जिला अस्पताल को नहीं मिला और न ही यहां लगने वाली अत्याधुनिक मशीनों को ऑपरेट करने के लिए कोईटेक्नीशियन ही मिल पाया है। ट्रामा सेंटर के लिए स्वीकृत कुल अधिकारियों और कर्मचारियों के कुल 73 पदों में से महज करीब एक दर्जन स्टॉप नर्सही मिल पाईहैं। इसके बाद भी मिडिया के दबाव के चलते ट्रामा सेंटर शुरू कर दिया गया है। अभी यहां रजिस्ट्रेशन कक्ष, माइनर ओटी और ओपीडी को ही शिफ्टकिया गया है। यहां लगने वाली मशीनें भी अभी बक्सों में ही बंद रखी हुईहैं। उन्हें अभी तक बक्सों से बाहर तक नहीं निकाला जा सका है। ऐसे हालात में विभाग की आमजन के प्रति जिम्मेदरी की गंभीरता का सहज ही अनुमान लगा सकते है।
प्रभारी मंत्री ने माहभर पहले किया था लोकार्पण
नेशनल हाइवे में होने वाले एक्सीडेंट केसों को त्वरित उपचार उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार द्वारा ट्रामा केयर यूनिट स्थापित किए जाने की नीति को मंजूरी दी गई थी। वर्ष 2012 में प्रदेश के चिन्हित जिलों में ट्रामा केयर यूनिट निर्माण का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया था। इसमें पन्ना को भी शामिल किया गया था। पन्ना में ट्रामा यूनिट के निर्माण की पुनरीक्षित स्वीकृति 27 अप्रैल 2016 को मिली थी। जिसकी लागत 3.79 करोड़ है। ट्रामा सेंटर का प्रभारी मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने 17 सितंबर को लोकार्पण किया था। यहां दो दर्जन से अधिक आधुनिकतम मशीनों को लगाए जाने के साथ ही एक दर्जन डॉक्टरों की तैनाती जानी थी। इसके अलावा ३६ पैरामेडिकल स्टाफ सहित 73 पद स्वीकृत किए गए हैं।
जिले में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के नाम पर खानापूर्ति
लोकार्पण के बाद से ही लगातार अस्पताल प्रशासन पर ट्रामा सेंटर को चालू कराने के लिए दबाव बनाया जाने लगा था। इससे जिला प्रशासन पर भोपाल से भी इसे चालू करने को लेकर दबाव था। इसी दबाव के कारण अस्पताल प्रशासन ने बगैर अतिरिक्त स्टॉप और टेक्निीशियन के उसे चालू करने की औपचाकिरता पूरी कर दी गई है। जब तक अतिरिक्त डॉक्टर-टेक्नीशियन नहीं मिल जाते, तब तक ट्रामा सेंटर को शुरू करने का कोई लाभ जिले की जनता को नहीं मिलने वाला।
इन मशीनों की मिलनी थी सुविधा
जिला अस्पताल परिसर में स्थित ट्रामा सेंटर को अत्याधुनिक मशीनों से सुसज्जित किया जाएगा। इनमें अल्ट्रा सोनोग्राफी मशीन एक, पोर्टेबल एक्स-रे मशीन एक, कॉटरी मशीन दो, सक्शन मशीन चार, ट्रांसपोर्ट वेंटिलेटर एक, एबीजी मशीन एक, मॉनीटर पांच, डिजिटल एक्स-रे मशीन एक, ओटी टेबिल दो, ओटी सीलिंग लाइट दो, एनेस्थीसिया मशीन दो, वेंटिलेटर पांच और डेफ्रिलेटर मॉनीटर पांच रखे जाएंगे। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार ट्रामा सेंटर के संचालन के लिए उक्त उपकरण अस्पताल प्रबंधन को मिल चुके हैं। ट्रामा सेंटर के लिए नियुक्त मानव संसाधन अभी तक नहीं मिलने से इन मशीनों का संचालन नहीं हो पा रहा है।
मंच पर बैठने की थी मारामारी अब सुध लेने वाला कोई नहीं
प्रभारी मंत्री ने 17 सितंबर को ट्रामा सेंटर का लोकार्पण किया था, तब मंच पर बैठने के लिए कांग्रेस नेताओं में मारामारी मची थी। कलेक्टर-एसपी सहित प्रशासन के किसी अधिकारी को मंच पर जगह नहीं मिल पाई थी। लेकिन अव्यवस्था देखने की फुर्सत किसी को नहीं है। हालात यह है कि लोकार्पण के कारीब एक माह बाद भी ट्रामा सेंटर को जरूरी स्टॉप नहीं मिलने पर किसी भी नेता को कोईपरवाह नहीं है। अब अपने-अपने काम में व्यस्त हैं।
ये पद स्वीकृत किए गए
ट्रामा सेंटर को व्यवस्थित रूप से संचालन के लिए एक दर्जन डॉक्टरों सहत कुल 73 लोगों के पदों की स्वीकृति दी गईहै। स्वीकृत पदों के अनुसार 6 चिकित्सा विशेषज्ञ और 6 चिकित्सा अधिकारी के पद स्वीकृत किए गए हैं। इसके अलावा पैरामेडिकल स्टॉप के 36 और मल्टी वर्कर के 12 पद स्वीकृत हुए हैं। इन पदों के विरुद्ध तैनात किए गए कर्मचारी अब तक प्राप्त नहीं हो पाए हैं। ऐसे हालात में इसके व्यवस्थित रूप से संचालित हो पाने की उम्मीदें कम ही हैं।
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