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ट्रामा यूनिट में नहीं पीने का पानी, पान और गुटखा की पीक से रंग गईं दीवारें, मरीज हलाकान

locationपन्नाPublished: Feb 24, 2020 12:44:52 am

Submitted by:

Anil singh kushwah

चार महीने से बंद पड़े सभी 16 सीसीटीवी कैमरे

No drinking water Trama unit, walls painted with pan and gutkha peak

No drinking water Trama unit, walls painted with pan and gutkha peak

पन्ना. जिला अस्पताल पन्ना के ट्रामा सेंटर में ओपीडी और रजिस्ट्रेशन कक्ष को शिफ्ट हुए चार माह से अधिक होने के बाद भी यहां पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। जबकि प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में मरीज और परिजन इलाज कराने के लिए ओपीडी में पहुंचते हैं। अस्पताल के सीसीटीवी कैमरे बंद होने का फायदा उठाकर मरीजों के परिजन और अस्पताल स्टॉप ने पूरे अस्पताल की दीवारों को पीकदान बना दिया है। अस्पताल में एक सप्ताह के अंदर ही कार और बाइक भी चोरी हो गईं, कैमरे नहीं होने से इनके बारे में अभी तक पता नहीं चल पाया है।
जिला अस्पताल में फैली गंदगी
अस्पताल प्रशासन द्वारा दबाव के चलते जिला अस्पताल के ओपीडी व रिजस्ट्रेशन कक्ष को ट्रामा यूनिट भवन में शिफ्ट कर दिया गया था, अस्पताल प्रबंधन को ध्यान दिलाने के बावजूद अभी तक पेयजल की व्यवस्था नहीं हुई। जबकि रोजाना तकरीबन 400 मरीज अस्पताल पहुंचते हैं। हालात यह हैं कि उन्हें बाहर स्थित होटलों से पानी भरकर लाना पडता है। सीसीटीवी कैमरे बंद होने से अब कर्मचारियों को पता है कि उनको कोई अधिकारी दूर बैठकर नहीं देख रहा है। इसी का फायदा उठाकर जहां मन पड़ता है वहीं दीवार पर थूक देते हैं। रविवार की दोपहर जिला अस्पताल की अधिकांश दीवारे पान और गुटखा की पीक से रची हुई थीं।
जिपं सीईओ को नोडल अधिकारी बनाया
कर्मचारियों के साथ ही मरीजों के परिजन भी इसका भरपूर फायदा उठा रहे हैं। अस्पताल की समस्याओं के निराकरण के लिए कलेक्टर द्वारा जिपं सीईओ को नोडल अधिकारी बनाया गया है। यह मनोनयन के बाद बस हादसे के समय कलेक्टर अस्पताल आ चुके हैं, लेकिन नोडल अधिकारी को अस्पताल आने के लिए अभी तक समय नहीं मिल पा रहा है। जिपं सीईओ महीनेभर बाद भी अस्पताल तक नहीं पहुंच पाए हैं। ऐसे हालात में यहां की समस्याओं को सुलझाने को लेकर उनकी गंभीरता समझ आ रही है। कैमरे बंद होने की वजह से अब यहां आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की आवाजारी बढ़ गई है।
ओपीडी में सिर्फ ड्यूटी डॉक्टर
प्रदेश सरकार द्वारा ओपीडी का समय भले ही दोपहर में भी कर दिया हो, लेकिन जिला अस्पताल में दोपहर एक बजे के बाद सिर्फ ड्यूटी डॉक्टर ही मिलते हैं। सिविल सर्जन का सतना से अप डाउन करने के कारण उनकी स्टॉप पर पकड़ भी नहीं है। अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र के बोर्ड में बिजली देने के लिए सीधे स्विच में तार फंसा दी गई हैं। इससे थोड़ी सी असावधानी में महिलाएं, बच्चे व परिजन कोई भी करंट की चपेट में आ सकता है। जिले के प्रशासनिक अधिकारियों को अस्पताल में चल रही गड़बड़ी को देखने के लिए समय ही नहीं है। जिसकी सजा अंतत: गरीब मरीजों और परिजनों को ही भुगतनी पड़ रही है।
बंद पड़े कैमरे, नहीं हो रही मॉनीटरिंग
जिला अस्पताल में लाखों रुपए की लागत से करीब दो साल पहले पुराने भवन में १६ सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। उक्त कैमरों से कलेक्टर, सीएमएचओ, सीएस और अस्पताल प्रशासक एक जगह बैठकर पूरे अस्पताल परिसर और वार्डों के अंदर ही हर स्थिति पर नजर रखते थे। इसकी मॉनीटरिंग डयूटी डॉक्टर के कमरे में रखे सिस्टम से होती थी। जिला अस्पताल की ओपीडी और रजिस्ट्रेशन सेंटर के ट्रामा यूनिट में शिफ्टि होने के बाद से सभी सीसीटीवी कैमरे बंद पड़े हैं।

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