पत्रिका द्वारा नल-जल योजना बंद होने का मामला प्रकाशित किए जाने के बाद योजना के क्रियान्वयन में ठेकेदार-अधिकारियों की मिलीभगत से किए गए खेल की पोल खुली है। अब बजट नहीं होने का रोना रोते हुए ग्राम पंचायत द्वारा गांव के एक मोहल्ल को नदी का पानी सप्लाई करने की तैयारी की गई है, जबकि आधे से ज्यादा गांव तब भी प्यासा ही रहेगा।
पंचायत पर बनाया जा रहा दबाव सरपंच पति विद्याचरण दुबे ने बताया, ग्राम पंचायत में 17.43 लाख रुपए की लागत से नल-जल योजना स्वीकृत थी। ठेकेदार गोविंद परौहा द्वारा योजना के तहत आधा अधूरा काम किया गया है। पूरे गांव में पाइपलाइन नहीं बिछाई गई और न ही बोरिंग कराया गया है।
बीते दिनों नल-जल योजना के बंद होने से संबंधित समाचार पत्रिका द्वारा प्रकाशित किए जाने के बाद एसडीओ पीएचई एनके दुबे के माध्यम से आधू-अधूरी योजना पंचायत को सौंप दी गई। अब पंचायत पर लोगों को पानी देने का दबाव बनाया जा रहा है, जबकि ठेकेदार एजेंसी द्वारा न बोरिंग कराई गई है और न ही गांव में पाइपलाइन बिछाई गई है। इससे लोग भीषण गर्मी में एक-एक बाल्टी पानी को मोहताज हैं।
अधिकांश मेाहल्लों को नदी का पानी नसीब नहीं विद्याचरण ने बताया, हमारे पास बजट की कमी है। जितना बजट है उतने रुपए से गांव के लोगों को नदी का पानी देने की व्यवस्था की जा रही है। इसके तहत गांव के एक-दो मोहल्ले के लोगों को ही पानी मिल सकेगा।
नगर के आदिवासी मोहल्ला, बर्मन मोहल्ला, साहू मोहल्ला और चौधरी मोहल्ला मे पाइपलाइन नहीं बिछाने से लोगों की प्यास नहीं बुझ सकी है। कुछ लोगों को पानी की व्यवस्था कराई जा रही है, लेकिन बजट नहीं होने के कारण पूरे गांव को पानी मिल पाना संभव नहीं होगा। समस्या की जानकारी होने के बाद भी अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
मुझे अभी तक नज-जल योजना हैंडओवर करने की जानकारी नहीं है। मैं शीघ्र ही ग्राम पंचायत जाकर मामले को दिखवाता हूं।
राकेश शुक्ला, सीइओ
राकेश शुक्ला, सीइओ