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अंतरराष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव: तेरस की सवारी में भक्ति रस से सराबोर हुआ पन्ना धाम, देश-दुनिया से जुटे हजारों श्रद्धालु

locationपन्नाPublished: Oct 13, 2019 06:07:04 pm

Submitted by:

Anil singh kushwah

श्रीजी की एक झलक पाने उमड़ पड़े हजारों श्रद्धालु, सवारी में दिखा भक्ति भाव व विविधता का अनूठा समागम

Vijyadashami festival celebrated with reverence and faith in Singrauli

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पन्ना. पवित्र नगरी पन्ना में चल रहे अंतरराष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव के दूसरे बड़े आयोजन के तहत शुक्रवार की शाम को खेजड़ा मंदिर से तेरस पर श्रीजी की सवारी निकाली गई। इस अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु श्रीजी की एक झलक पाने के लिए मंदिर परिसर में उमड़ पड़े। शाम को जब खेजड़ा मंदिर परिसर में सवारी शुरू हुई तो पूरा पन्ना शहर प्राणनाथ के जयकारों से गूंज उठा। सवारी में भक्ति रस में डूबा विविधता का अनोखा समागम दिखा। विभिन्न प्रांतों व भिन्न-भिन्न देशों से आए श्रद्धालु सुंदरसाथ को एक धुन में मगन होकर नाचते-झूमते देखा गया। नगर के प्रमुख मार्गों से सवारी के निकलने के दौरान ऐसा लग रहा था, मानो समूचा पन्ना धाम ही भक्ति रस में सराबोर हो गया हो।प्रणामी संप्रदाय के आस्था का केंद्र अति प्राचीन खेजड़ा मंदिर से शुक्रवार की शाम करीब छह बजे महामति प्राणनाथ की सवारी जब निकली तो वहां विविध भेष-भूषा में हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे। रथ से श्रद्धालुओं के बीच टॉफी, फल व अन्य खाद साम्रग्री लुटाई जा रही थी। श्रीजी की इस विशाल सवारी में आए हजारों सुंदरसाथ मौजूद थे, जो अपने-अपने देश और प्रदेशों की टुकडिय़ों में नाचते-गाते तथा अपनी-अपनी परंपराओं के अनुरूप पन्ना नगर की पवित्रा धरती पर प्राणनाथ के प्रेम का अहसास कराते नजर आए।
सद्गुुरु के सम्मान का प्रतीक है तेरस की सवारी
प्रणामी समाज के धर्मगुरुओं ने बताया, तेरस की सवारी का आयोजन पहली बार महाराजा छत्रसाल ने किया था। सद्गुरु के सम्मान का प्रतीक कही जाने वाली इस तेरस की सवारी को लेकर मान्यता है कि जब बुंदेलखंड को चारों तरफ से औरंगजेब के सरदारों ने घेर लिया था तब महामति प्राणनाथ ने महाराजा छत्रासाल को अपनी चमत्कारी तलवार देकर विजयी होने का आशीर्वाद दिया था। और कहा था कि जब तक तुम अपने दुश्मनों को धूल चटाकर नहीं आ जाते तब तक में इसी खेजड़ा मंदिर में ही रुकूंगा। तलवार मिलने के तीसरे दिन तेरस को जब महाराजा छत्रासाल अपने दुश्मनों पर फतह हासिल कर लौटे तो अपने सद्गुरु महामति प्राणनाथ को पालकी में बिठाकर अपने कंधों का सहारा देकर प्राणनाथजी मंदिर में स्थित गुम्मट बंगला में लाए थे। जिसके प्रतीक स्वरूप तभी से यह आयोजन हर वर्ष किया जाता है। खेजड़ा मंदिर से निकली श्रीजी की सवारी को प्राणनाथ मंदिर की कुल तीन किलोमीटर तक की यात्रा में सात से आठ घंटे का समय लग जाता है।
जगह-जगह हुई श्रीजी की आरती, स्वागत
शोभायात्राा में रथ पर सवार श्राीजी की एक झलक पाने के लिए लोग घंटों सड़क के किनारे खड़े रहे। सवारी के दौरान श्राद्धालुओं ने जगह-जगह श्रीजी की आरती उतारी गई एवं शोभा यााा में सम्मिलित सुंदरसाथ को मिठाइयां बांटी गईं। वहीं नगर वासियों द्वारा जगह-जगह पेयजल आदि की भी व्यवस्था थी। तेरस की इस विशेष शोभा यात्राा में प्राणानाथ ट्रस्ट के पदाधिकारी एवं ट्रस्ट के बाहर के पदाधिकारियों ट्रस्ट के प्रबंधक एवं समस्त यासियों सहित स्थानीय एवं देश के कोने-कोने से आए धर्माचार्य व धर्मोंप्रदेशकों की बड़ी संख्या में सहभागिता रही। आयोजन को लेकर लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था।
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