कार्यक्रम में शोधार्थियों ने पन्ना सहित प्रदेश व देश में पुरातत्व संबंधी किए जा रहे शोध के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में डिप्टी कलेक्टर भूपेंद्र रावत मुख्य अतिथि रहे। अध्यक्षता पुरातत्व अधीक्षक डॉ. गोविंद बाथम ने की। विशिष्ट अतिथि जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर के डीन आरपी पांडेय, प्रभारी प्राचार्य छत्रसाल कॉलेज एके खरे, उप संचालक पुरातत्व विभाग ग्वालियर एसआर वर्मा रहे।
कार्यक्रम में प्रोफेसर और छात्र-छात्राओं ने पन्ना जिले में फैली पुरातत्व संबंधी महत्व की चीजों और वस्तुओं के बारे में जानकारी दी। वक्ताओं ने प्रदेश के भीम बैठका में पाए जाने वाली रॉक पेंटिंग और रॉक सेल्टर को दुनिया में सबसे बेहतरीन रॉक पेंटिंग और सेल्टर बताए।
जिले में पाए जाने वाले शौलचित्रों के बारे में भी विस्तार से बताया गया। उनके प्रकार और महत्व के बारे में तकनीकी जानकारी दी गई। इस अवसर पर छत्रसाल कॉलेज के इतिहास विभाग की अध्यक्ष प्रो. ऊषा मिश्रा, श्रीकृष्ण विव छतरपुर के विभागाध्यक्ष डॉ. शिव प्रताप सिंह, अरुण भारतीय सतना, पीके नंदन रीवा, शिवम दुबे खजुराहो,जीतेंद्र, मनोज लहरिया, यामिनी योगी, रजनी पलैया ग्वालियर सहित आधा सैकड़ा से अधिक शोधार्थी मौजूद रहे। यहां संग्रहालय में रखी दुर्लभ प्रतिमाओं को भी शोधार्थियों ने देखा और उनके महत्व के बारे में समझा।
100 साल से भी अधिक पुराने सिक्के लेकर पहुंचा बालक किशोरगंज निवासी बालक राज ददरया पिता ओम प्रकाश ददरया अपने पास मौजूद दुर्लभ सिक्कों के संग्रह को दिखाने आयोजन स्थल पर पहुंचा। बालक ने बताया, यह सिक्के उसे उसके दादा जुगल किशोर गुप्ता ने दिए थे। इनमें महारानी विक्टोरिया के समय का वर्ष 1907 का सिक्का भी शामिल था। यह सिक्का 100 साल से भी ज्यादा पुराना था। इसी तरह से पास अन्य कई पुराने सिक्के हैं।