बाघ की मौजूदगी गांव से सटकर है यह खबर अब सुहेला, सोमखेड़ा, दोहली सहित आसपास के एक दर्जन गांव में लोग दहशतजदा बने हुए हैं। सुहेला सरपंच कल्याण सिंह ने बताया है कि बाघ गांव के समीप ही है। गुरुवार की शाम से बाघ इसी इलाके में घूम रहा है। कल्याण सिंह ने कहा है कि बाघ शुक्रवार की दोपहर दोहली क्षेत्र में है। दोपहर में बाघ को इमलिया घाट के आगे वन विभाग के बेरियल से करीब एक किलोमीटर दूरी पर देखा गया है। जहां बाघ बना हुआ है वहीं से सटकर गांव लगे हुए हैं।
मामले में सोमखेड़ा सरपंच प्रतिनिधि ने बताया है कि झरया मुढ़ेरी में एक बाघ को सैकड़ों लोगों ने घूमते हुए देखा है। बाघ इसके पहले कभी ऐसे खुले में घूमते हुए यहां नजर नहीं आया। मामले में नौरादेही डीएफओ क्षितिज कुमार का कहना है कि नौरादेही अभयारण्य में बाघों का कुनबा बढ़े यही शासन की योजना है। उन्होंने बताया कि बाघ के आसपास अभयारण्य का अमला नजर रखे हुए है। ग्रामीणों को सुरक्षित रहना चाहिए ग्रामीण जंगल में प्रवेश ना करें। डीएफओ ने बताया कि यह बाघ पूर्ण व्यस्क है।
जिस व्यस्क बाघ की हम बात कर रहे हैं दरअसल यह बाघ हाल ही के दो माह पहले पन्ना टाइगर रिजर्व के सुरक्षति कोर जोन और बफर जोने से निकलकर रेगुरल फारेस्ट होते हुए दमोह जिले की सीमा तक पहुंचा है। यह पहले जिले के हिंडोरिया थाना क्षेत्र में पहुंचा था और यहां से नौरादेही अभयारण्य में पहुंच गया था। वैसे तो नौरादेही अभयारण्य में एक बाघिन सहित कुल तीन बाघ मौजूद हैं। लेकिन इनमें जो खतरा बना हुआ है यह आईडी कॉलर नहीं है। आईडी कॉलर नहीं होने से इसकी पहचान पन्ना टाइगर रिजर्व के भागे बाघ के रूप में हुई है।
नौरादेही अभयारण्य के उस हिस्से में बाघ की मौजूदगी है जो दमोह जिले की सीमा में आता है। लेकिन जिन गांव से सटकर बाघ की मौजूदगी है वहां दमोह वन विभाग की सीमा लगती है। अभयारण्य का सुरक्षा अमला बाघ पर नजर रखने के लिए चौकस बताया जा रहा है, लेकिन दमोह वन विभाग का अमला बेफिक्र बना हुआ है। एसडीओ दमोह का कहना है कि बाघ नौरादेही अभयारण्य की सीमा में है। यहां सवाल यह है कि अभयारण्य के सुरक्षा अमला की नजर से बचकर यदि बाघ किसी भी गांव में प्रवेश कर जाता है तो लोगों को अपनी जान की सुरक्षा स्वयं ही करना पड़ जाएगी।