गौरतलब है कि पार्क प्रबंधन ने बुधवार को बफर जोन के अकोला गेट से टूरिज्म की विधिवत शुरुआत की थी। यहां घूमने आए पर्यटकों के साथ पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर केएस भदौरिया भी थे। इस दौरान उन्होंने सभी से बिड़वानी नाला का प्राकृतिक सौंदर्य देखने की बात कही।
यहां दो चट्टानों के बीच से प्राकृतिक तरीके से जलस्रोत फूटा है। इसके कारण आसपास के जंगल में हरियाली है। यहां साल के १२ महीने पानी उपलब्ध रहता है। इससे आसपास के वन्यप्राणी पानी पीने आते हैं। आसपास पक्षियों ने घोषला भी बना लिया है। इस प्राकृतिक स्थल को देखने के लिए लोग नाले में नीचे उतर गए।
दिखा अनमोल खजाना सभी नाले के ऊपर चढ़ाई पर थे तभी कुछ लोगों की नजर दो चट्टानों के बीच बनी छोटी सी गुफा में पड़ी। उत्सुकता में सभी वहां पहुंच तो उन्हें शैल चित्र दिखने को मिले। इन शैल चित्रों में कुछ धूप व बारिश में धूमिल हो गए हैं, जबकि कुछ अभी तक पूरी तरह से स्पष्ट दिखाई दे रहे थे।
इनमें से धूमिल हो चुका बाघ का शैल चित्र पूरी तरह से समझ में आ रहा था, जबकि कुछ अन्य के उभार स्पष्ट रूप से समझ में नहीं आ रहे थे। यहां की भौगोलिक स्थिति व जलस्रोत को दृष्टिगत रखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि हजारों वर्ष पूर्व यहां पर आदि मानवों का रहवास रहा है। इन्हीं लोगों ने चट्टानों पर प्राकृतिक रंगों से क्षेत्र में पाए जाने वाले बाघ सहित अन्य चित्र बनाए होंगे, जो आज भी विद्यमान हैं।
पहले देखा ही नहीं फील्ड डायरेक्टर भदौरिया को जब वहां दुर्लभ शैल चित्रों के होने की जानकारी दी गई तो उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था। उन्होंने कहा, नाले के बारे में तो उन्हें पता था, लेकिन शैल चित्रों की जानकारी नहीं थी। उत्सुकता में वे भी शैल चित्रों को देखने नीचे उतर गए। उनका कहना था कि उन्होंने इससे पहले यहां शैल चित्रों को देखा ही नहीं था। इन्हें संरक्षित करने की दिशा में गंभीरतापूर्वक प्रयाए किए जाएंगे।