वहीं इसके साथ ही बफरजोन की सीमा से लगे गांवों के किसानों को भी जंगली जानवरों द्वारा फसलें उजडऩे से बचाने में बाउंड्रीवॉल सहायक सिद्ध होगी। दमोह जिले की सीमा का अंतिम ग्राम बर्धा से चौरइया तक दर्जन भर गांव बफरजोन की सीमा से लगे हैं। जिसमें निवास, पाठा, पाली, कनकपुरा, मादे, मलवारा, मडिय़ादो, कलकुंआ, घोघरा, कारीबरा सहित अन्य गांव शामिल हैं।
यहां वन्यजीवों के कारण किसानों को फसलों की रखवाली करना किसी जंग जीतने से कम नहीं होता। इसके अलावा मांसाहारी जीव और इंसानों के बीच भी टकराव के कारण ग्रामीणों के घायल होने की खबरें भी अकसर मिलती रहती हैं। अगर वन विभाग द्वारा बाउंड्रीवॉल निर्माण करा दी जाती है तो निश्चित ही ग्रामीणों को बहुत हद तक फसलें और स्वयं की सुरक्षा में मददगार साबित होगी।
बाउंड्रीवॉल निर्माण के बाद कभी भी कहीं से भी वाहन प्रवेश करने पर भी रोक लग जाएगी। इस समय बर्धा से घोघरा, चौरइया तक जंगली सीमा में कभी भी कहीं से भी कतिपय खनन माफिया, लकड़ी चोर ट्रैक्टर-ट्रॉली, बैलगाडिय़ोंं से जंगल में प्रवेश करते हैं और वन संपदा की चोरी करने से बाज नहीं आते।
उदाहरण के रूप में साल भर में करीब चार दर्जन से अधिक मामले इसका सबूत हैं। बाउंड्रीवॉल निर्माण होने के बाद बहुत हद तक वन सपंदा का दोहन रुकने की भी पूर्ण उम्मीद जताई जा रही है। किशनगढ़/मडिय़ादो रेंजर राजेंद्र सिंह नरगेश के अनुसार मडिय़ादो बफर को सुरक्षा देने लगभग 80 किमी एरिया में बाउंड्रीवॉल निर्माण के लिए प्रस्ताव दिया है। उम्मीद है शीघ्र ही स्वीकृति मिल जाएगी और कार्य प्रारंभ होगा।