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धड़ाधड़ जंगल की होती रही कटाई और चैन की नींद सोता रहा वन अमला, जानिए क्या है मामला

locationपन्नाPublished: Mar 14, 2019 10:33:52 pm

Submitted by:

Bajrangi rathore

धड़ाधड़ जंगल की होती रही कटाई और चैन की नींद सोता रहा वन अमला, जानिए क्या है मामला

panna tiger reserve

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पन्ना। मप्र के पन्ना जिले के उत्तर वन मंडल के धरमपुर रेंज के कक्ष क्रमांक पी-52 की पहाड़ी में स्थानीय असरदार द्वारा मजदूर लगाकर करीब 15 दिन से पेड़ों की धड़ाधड़ कटाई की जा रही है। यहां पूरी पहाड़ी के पेड़ों को साफ कर दिया गया है। इसके बाद भी वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी गहरी नींद में सोए हैं।
वन विभाग जंगल की सुरक्षा को लेकर किस हद तक लापरवाह है इसका अंदाला इसी से लगाया जा सकता है कि इस मामले की जानकारी अभी तक डीएफओ तक को भी नहीं है। इससे कुर्सी पर बैठे अधिकरियों और मैदानी अमले के बीच समन्वय की कमी खुलकर सामने आई है।
जानकारी के अनुसार धरमपुर निवासी क्षेत्रीय असरदार द्वारा लंबे समय से धरमपुर रेंज के कक्ष क्रमांक 52 की पहाड़ी पर कब्जा किया गया था। वह उस पहाड़ी के जंगल को अपनी संपत्ति बताता था। सूत्र बताते हैं कि स्थानीय बीट गार्ड और डिप्टी रेंजर की मदद से उक्त असरदार द्वारा बीच जंगल में स्थित पहाड़ी पर मजदूर लगाकर पेड़ों को काटने का काम किया जा रहा है।
हालात यह थी कि दिनहदाड़े जंगल के इस तरह से काटे जाने की जानकारी गांव सहित आसपास के लोगों को भी हो गई थी, लेकिन कोई अपनी जुबान नहीं खोल पा रहा था।

पहाड़ी पर बचे सिर्फ ठूठ, काटे करीब 300 पेड़
सूत्रों के अनुसार असरदार ने पूरी पहाड़ी के पेड़ काटने के लिए बकायदा मजदूर लगाए थे। आसपास के ग्रामीणों के अनुसार एक सप्ताह से अधिक समय से वन अमले की मिलीभगत से पेड़ों को काटा जा रहा था। बीटगार्ड अनिल पटेल और डिप्टी रेंजर शेख महबूब की भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध है।
हफ्तों से दिन में भी मजदूर लगाकर पेड़ काटे जा रहे थे इसके बाद भी उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगना समझ से परे है। सूत्रों का कहना है कि विभाग के लोगों की मिली भगत के बगैर इतनी बड़ी मात्रा में पेड़ काटे ही नहीं जा सकते हैं। दबंगई देखो कि पेड़ों को काटने के बाद उन्हें शीघ्र रफादफा करने के बजाए पहाड़ी पर ही सूखने के लिए डाल दिया गया था।
वन अमले की भूमिका संदिग्ध

इतनी बड़ी मात्रा में पेड़ों के काटे जाने के पीछे वन विभाग के मैदानी अमले के साथ ही अधिकारियों की भी भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसा लगता है कि अधिकारियों और मैदानी अमले के बीच सूचनाओं के आदान -प्रदान में गैप है। इससे यह भी साबित होता है कि बड़े अधिकारी कार्यालयों में ही बैठकर नौकरी कर रहे हैं।
यदि वे जंगल में घूमने नियमित रूप से जा रहे होते तो मैदानी अमला इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों को कैसे कटवा सकता।
पन्ना उत्तर वन मंडल के डीएफओ नरेश यादव के अनुसार धरमपुर रेंज में पेड़ों के काटे जाने की अभी तक जानकारी नहीं है। मैं दिखवा लेता हूं। तीन-चार दिन से पीसीसीएफ के साथ था। धरमपुर जाऊंगा तो दिखवा लूंगा।

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