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फ्री रेंजिंग बाघों का पन्ना टाइगर रिजर्व में 58 बार ट्रैंक्युलाइजेशन, गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में होगा दर्ज!

फ्री रेंजिंग बाघों का पन्ना टाइगर रिजर्व में 58 बार ट्रैंक्युलाइजेशन, गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में होगा दर्ज!

पन्नाMar 18, 2019 / 10:21 pm

Bajrangi rathore

panna tiger reserve

पन्ना। मप्र के पन्न जिले के पन्ना टाइगर रिजर्व में साढ़े सात वर्ष में 58 बार फ्री रेंजिंग बाघों को ट्रैंकुलाइज किया गया है। यह अपने आप में एक रिकार्ड है। यहां रेडियो कॉलर किए जाने की प्रत्येक कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग भी कराई जाती है। टाइगर रिज़र्व में बने इस अनूठे रिकॉर्ड को गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में भी भेजा गया है।
वाइल्ड लाइफ से जुड़े एक्सपर्ट का कहना है कि दुनिया में फ्री रेंजिंग बाघों का ट्रैंक्युलाइजेशन इतना और कहीं नहीं हुआ है। बाघों को बेहोश कर उन्हें रेडिया कॉलर पहनाने के मामले में पन्ना टाइगर रिजर्व ने जो रिकॉर्ड बनाया है, इसके पूर्व दुनिया में इतने कम समय में कहीं भी फ्री रेंजिंग बाघों का इतना ट्रैंक्युलाइज आपरेशन नहीं हुआ। पन्ना टाइगर रिजर्व में 22 नवंबर 2011 से 15 मार्च 2019 तक विभिन्न नर व मादा बाघों को 58 बार रेडियो कॉलर पहनाया गया।
सीमित अवधि में दुनिया में सबसे ज्यादा बाघों को बेहोश करके सफलता पूर्वक रेस्क्यू कार्य करने का करिश्मा पन्ना टाइगर रिजर्व के इकलौते वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता ने किया है जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। जानकारों के मुताबिक बाघों को ट्रैंक्युलाइज करके बेहोश करने का कार्य आमतौर पर कालर पहनाने, कालर उतारने व कालर बदलने तथा उपचार के लिए किया जाता है।
पूर्व में यहां पर बाघों को बेहोश करने का कार्य चार से पांच वन्य प्राणी चिकित्सकों की उपस्थिति में होता था, लेकिन विगत साढ़े सात वर्षों से यह कार्य टाइगर रिजर्व के चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता द्वारा अकेले ही किया जा रहा है। डॉ. गुप्ता के अनुसार आज तक बाघों को ट्रैंक्युलाइजेशन के दौरान तमाम तरह की चुनौतियों व विषम परिस्थितियों के बावजूद कोई अप्रिय स्थिति नहीं बनी।
इनके द्वारा अकेले ही ट्रैंक्युलाइजेशन का कार्य किया गया। वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता का कहना है कि पन्ना में बाघ पुनस्र्थापना योजना को मिली शानदार कामयाबी के पीछे सक्षम और इमानदार नेतृत्व, अधिकारियों-कर्मचारियों में टीम वर्क की भावना का होना है। बाघ पुनस्र्थापना योजना की कामयाबी के सूत्रधार तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर श्रीनिवास मूर्ति की बाघों व वन्य प्रांणियों के प्रति निष्ठा तथा उनकी कड़ी मेहनत एवं लगन से टाइगर रिजर्व का पूरा अमला प्रेरणा व ऊर्जा पाता रहा है, नतीजन कामयाबी की नित नई इबारत यहां लिखी जा रही है।
बीते 9 सालों में यहां पर बाघों का कुनबा इतनी तेजी से बढ़ा है कि अब पन्ना के बाघ जिले की सीमा को पार करते हुए दूर-दूर तक अपनी मौजूदगी प्रकट करने लगे हैं। इसी तरह से यदि यहां बाघों की वंशवृद्धि होती रही तो पन्ना के बाघ पूरे विन्ध्यांचल के जंगल में विचरण करते नजर आएंगे।
यह बेहद खुशी की बात है कि पन्ना टाइगर रिजर्व के डॉ. गुप्ता का नाम वल्र्ड रिकॉर्ड के लिए भेजा जा रहा है। यदि ऐसा हो जाता तो यह पन्ना के लिए बड़ी उपलब्धि रहेगी। पार्क प्रबंधन को चाहिए कि अपने निर्णय के अनुसार वत्सला को भी विश्व की सबसे बुजुर्ग हथिनी का वल्र्ड रिकॉर्ड दिलाने की दिशा में सार्थक पहल करे।
राजेश दीक्षित, प्रतिनिधि एनटीसीए
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