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चौकसी घटी तो बाघों की जान पर आई, सुरक्षा पर उठे सवाल

locationपन्नाPublished: Apr 05, 2019 01:55:55 am

Submitted by:

Bajrangi rathore

चौकसी घटी तो बाघों की जान पर आई, सुरक्षा पर उठे सवाल

panna tiger reserve

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पन्ना। मप्र के पन्ना जिले में पन्ना टाइगर रिजर्व से तत्कालीन फील्ड डायरेक्टर आर श्रीनिवास मूर्ति के स्थनांतरण के बाद बाघों की मॉनीटरिंग कम होने से मौत के आंकड़े बढऩे लगे। कभी यहां कुत्ते के काटने से बाघ की मौत का मामला सामने आया तो कभी बाघों के वर्चस्व की जंग में जान गंवाने का।
बीते साल दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में टाइगर रिजर्व के कोनी बीट में तीन साल की युवा बाघिन पी-521 का शिकार कल्चर वायर का फंदा बनाकर किए जाने की घटना के बाद बाघों की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे। सुरक्षा कारणों के चलते ही मार्च 2018 में युवा बाघिन पी-213(33) को संजय धुबरी टाइगर रिजर्व भेजना पड़ा।
बाघविहीन टाइगर रिजर्व का दंश

पन्ना टइगर रिजर्व 576.903 वर्ग किमी. कोर जोन और 1021.97 वर्ग किमी. बफर जोन सहित कुल 1578.55 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में फैला है। पार्क क्षेत्र में शिकार की गतिविधियों के बढऩे और डकैतों की मूवमेंट के चलते इसे वर्ष 2008 में बाघ विहीन टाइगर रिजर्व होने का दंश भी झेलना पड़ा। वर्ष 2009 में यहां दो चरणों वाली बाघ पुनस्र्थापन योजना शुरू हुई। इस परियोजना के बाद अभी वर्ष 2018 में पूरी हुई कैमरा ट्रेप पद्धति से बाघों की गणना में कुल २६ बाघ रिकॉर्ड में दर्ज हुए हैं।
कुत्ते-बिल्लियों का टीकाकरण

पार्क से जुड़े लोगों के अनुसार यहां एक बाघ की मौत पागल कुत्ते के काटने से कैनाइन डिस्टेंपर वायरस के कारण हुई थी, तभी से पार्क के आसपास के गांव के कुत्ते-बिल्लियों का टीकाकरण किया जाने लगा है। परियोजना शुरू होने के बाद यहां आधा दर्जन बाघों के नेचुरल डेथ और एक शिकार का मामला सामने आया है।
नवंबर २०१७ में पार्क के अंदर बाघ टी-7 एवं टी-111 दोनों की आपसी भिड़ंत गगऊ रेंज अभ्यारण्य में हुई थी। जिसमें दोनों गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे। अक्टूबर 2017 में पन्ना टाइगर रिजर्व के पन्ना रेंज अंतर्गत तालगांव सर्किल के पठार में बाघ टी-3 बाघ को घायल अवस्था में सैलानियों ने देखा था, जिसकी बाद में मौत हो गई थी।
सुरक्षा कारणों से बाहर भेजे जा रहे बाघ

पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढऩे से सीधी, चुरहट, सतना, रीवा, बाधवगढ़ नेशनल पार्क तक जाने लगे हैं। यहां के बाघ पी-212 ने करीब तीन साल पूर्व संजय टाइगर रिजर्व सीधी में बाघों के कुनबे में वृद्धि की। जिसकी बाद में वहीं झारखंड के एक युवा बाघ से हुई टेरिटोरियल फाइट में मौत हो गई थी।
पन्ना टइगर रिजर्व की एक बाघिन चित्रकूट के आसपास के जंगलों में विचरण कर रही है। एक बाघ की सतना जिले में ही बीते साल ट्रेन से कटने से मौत हो गई थी। करीब दो साल पूर्व पन्ना टाइगर रिजर्व की युवा बाघिन पी-213-23 को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व होशंगाबाद शिफ्ट कर दिया गया है।
बाघ पुनस्र्थापन योजना के तहत प्रदेश के बांधवगढ़, कान्हा और पेंच टाइगर रिजर्व से लाए गए बाघ और बाघिनों के संयोग से पिछले यहां ५० से भी अधिक शावकों का जन्म हुआ। इनमें से कुछ की असमय मौत हो गई। बाघिन टी-1 ने अपने 4 लिटर में 14 और बाघिन टी-1 ने 5 लिटर में 13 शावकों को जन्मा है।

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