इसके बाद लोगों ने राहत की सांस ली। पांच-छह माह से अमानगंज के बफर जोन क्षेत्र के जंगल में बाघिन का मूवमेंट बना है। बीते माह बाघिन को ट्रेंकुलाइज करके उसे सुरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ा गया था।
जानकारी शीघ्र वन अमले को इसके बाद बाघिन पी-133 को किशनगढ़ के जंगल से गांव की तरफ आते हुए लोगों ने देखा तो इसकी जानकारी शीघ्र वन अमले को दी। सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची वन अमले की टीम ने लोगों को बाघिन के संभावित मार्ग की ओर जाने से रोका और सकर्त रहने के लिए निर्देशित किया गया।
ककरहाई डैम के पास लोकेशन इसके बाद बाघिन नहर में लगी घास में बैठ गई तो शाम को वहां से लगभग छह बजे निकली। वह लगातार चलती रही। उसकी ककरहाई डैम के पास लोकेशन पाई गई। उसे वहां से जंगल में खदेडऩे के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने का निर्णय लिया गया।
लगातार मूवमेंट से लोग दहशत में
गौरतलब है कि अमानगंज क्षेत्र के बफर जोन के जंगल में लगातार बाघ-बाघिनों की मूवमेंट बनी है। इससे लोगों में दहशत है। खेत-खलिहान जाते समय उन्हें हमेशा डर बना रहता है कि कहीं कोई बाघ रास्ते में न दिख जाए। बाघ की दहशत के कारण लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो रहा है। हालत यह है कि गांव के रास्तों पर अकेले चलते कम ही लोग दिखाई देते हैं। सावधानी के लिए लोगों को समूह में निकलने और हाथों में लाठी आदि लेकर चलने की हिदायत दी गई है।
गौरतलब है कि अमानगंज क्षेत्र के बफर जोन के जंगल में लगातार बाघ-बाघिनों की मूवमेंट बनी है। इससे लोगों में दहशत है। खेत-खलिहान जाते समय उन्हें हमेशा डर बना रहता है कि कहीं कोई बाघ रास्ते में न दिख जाए। बाघ की दहशत के कारण लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो रहा है। हालत यह है कि गांव के रास्तों पर अकेले चलते कम ही लोग दिखाई देते हैं। सावधानी के लिए लोगों को समूह में निकलने और हाथों में लाठी आदि लेकर चलने की हिदायत दी गई है।
अभी भी पार्क से दूर पवई की ओर गया बाघ
सूत्रों का कहना है कि एक अन्य युवा बाघ की मूवमेंट पवई और मोहंद्रा रेंज के जंगलों में बनी है। बाघ के बीते कई दिनों से क्षेत्र में होने से वन क्षेत्र की निगरानी भी बढ़ा दी गई है। अधिकारी और कर्मचारियों का अमला रात-दिन निगरानी में लगा है। बाघ को रेडियो कॉलर नहीं लगा होने के कारण निगरानी में अधिकारियों-कर्मचारियों को पसीना छूट रहा है। इसके साथ ही बाघ के मूवमेंट को लेकर आसपास के जंगलों के रेंज अधिकारियों को भी सतर्क किया गया है जिससे बाघ के हर मूवमेंट की निगरानी की जा सके। वहीं दूसरी ओर पार्क प्रबंधन की ओर से भी बाघ की मॉनीटरिंग की जा रही है।
सूत्रों का कहना है कि एक अन्य युवा बाघ की मूवमेंट पवई और मोहंद्रा रेंज के जंगलों में बनी है। बाघ के बीते कई दिनों से क्षेत्र में होने से वन क्षेत्र की निगरानी भी बढ़ा दी गई है। अधिकारी और कर्मचारियों का अमला रात-दिन निगरानी में लगा है। बाघ को रेडियो कॉलर नहीं लगा होने के कारण निगरानी में अधिकारियों-कर्मचारियों को पसीना छूट रहा है। इसके साथ ही बाघ के मूवमेंट को लेकर आसपास के जंगलों के रेंज अधिकारियों को भी सतर्क किया गया है जिससे बाघ के हर मूवमेंट की निगरानी की जा सके। वहीं दूसरी ओर पार्क प्रबंधन की ओर से भी बाघ की मॉनीटरिंग की जा रही है।
बाघों की गणना के लिए साइन सर्वे
देशभर में बाघों की गिनती के लिए तैयारियां चल रही हैं। इसी के तहत पन्ना में बाघों और वन्य प्राणियों की गणना के लिए स्वयं सेवकों का भी सहयोग लिया जा रहा है। क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व के विवेक जैन ने बताया, राष्ट्रीय बाघ आंकलन वर्ष 2018 में फेज-1 के तहत पन्ना टाइगर रिजर्व में साइन सर्वे का कार्य प्रारंभ हो गया है। पन्ना टाइगर रिजर्व के अन्तर्गत साइन सर्वे में भाग लेने के लिए 4 फरवरी को 13 स्वयंसेवकों ने उपस्थिति दी।
देशभर में बाघों की गिनती के लिए तैयारियां चल रही हैं। इसी के तहत पन्ना में बाघों और वन्य प्राणियों की गणना के लिए स्वयं सेवकों का भी सहयोग लिया जा रहा है। क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व के विवेक जैन ने बताया, राष्ट्रीय बाघ आंकलन वर्ष 2018 में फेज-1 के तहत पन्ना टाइगर रिजर्व में साइन सर्वे का कार्य प्रारंभ हो गया है। पन्ना टाइगर रिजर्व के अन्तर्गत साइन सर्वे में भाग लेने के लिए 4 फरवरी को 13 स्वयंसेवकों ने उपस्थिति दी।
मड़ला परिक्षेत्र की बीटों में साइन सर्वे कार्य पार्क कार्यालय के सभागार में रविकान्त मिश्रा संयुक्त संचालक टाइगर रिजर्व की उपस्थिति में राज कुमार अहिरवार, परिक्षेत्र अधिकारी कोर द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण उपरान्त सभी स्वयंसेवकों को परिक्षेत्र पन्ना कोर, हिनौता एवं मड़ला परिक्षेत्र की बीटों में साइन सर्वे कार्य हेतु संलग्न किया गया है। स्वयं सेवकों में दिनेश कुमार गवली इंदौर, अरविन्द जोशी पन्ना, पंकज गुप्ता पन्ना व वैष्णव माता विधि महाविद्यालय एवं छत्रसाल विज्ञान महाविद्यालय पन्ना के छात्र सम्मिलित हुए। प्रथम तीन दिनों में ऐसे क्षेत्रों की सेंपलिंग की जाएगी जहां वन्य प्राणी पाए जाते हैं या पाए जाने की संभावना है।