गौरतलब है कि पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघ सुरक्षित कोर जोन से निकलकर बफर जोन के साथ ही उत्तर और दक्षिण वन मंडल के सामान्य जंगल में घूम रहे हैं। इसके अतिरिक्त दक्षिण वन मंडल के पवई, रैपुरा, मोहंद्रा रेंज में सघन वन और पर्याप्त भोजन की उपलब्धता के कारण क्षेत्र में तेंदुए, भालू और अन्य वन्य प्राणियों के हमले में दर्जनों लोग घायल हो चुके हैं। पूर्व में विक्रमपुर और आसपास के क्षेत्र में करीब एक साल तक बाघिन का लागतार मूवमेंट भी रहा है।
वन्य प्राणियों द्वारा फसलों को बर्बाद करने के कारण भी द्वंद के हालात बन जाते हैं। इससे कैसे निपटा जाए इसे ध्यान में रखते हुए पूर्वी भारत के समाजसेवी संगठन के विषय विशेषज्ञों का दल पन्ना जिले में आ रहा है। यह दल बीते कई सालों से वन्य प्राणियों, इनवायर्नमेंट सहित कई विषयों पर अध्ययन के साथ डॉक्यूमेंट्री फिल्म बना रहे हैं। जनवार में इन्हीं फिल्मों को दिखाया जाएगा।
जिले में सोशल वर्क से जुड़ीं जर्मन निवासी उलरिके रेनहार्ट ने बताया कि इस समाजसेवी संगठन द ग्रीन हब के लोग द्वारा एक सप्ताह तक प्रतिदिन सुबह 8 से 9:30 बजे तक और शाम 5 से 6:30 बजे तक लोगों को डाक्यूमेंट्री फिल्मों के माध्यम से वन्य प्राणियों और इंसानों के बीच हो रहे द्वंद से बचाव, पेड़ों के काटने से पर्यावरण में होने बाले बदलाव सहित अन्य विषयों की जानकारी सभी ग्रामीणों को दी जाएगी। इसके साथ ही एक दिन वन विभाग के अधिकारियों द्वारा भी लोगों को संबंधित विषयों पर जानकारी देने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।