दो दिन में शहर में करीब 25 टन कचरा डंप हो चुका था। जहां भी देखो वहीं कचरे के ढेर दिखाई दे रहे थे। शहर का ऐसा कोई हिस्सा ऐसा नहीं था जो साफ दिखाई दे रहा था। शाम को अंतत: विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह की अगुवाई में जनप्रतिनिधि, अधिकारी व आंदोलनकारी एकसाथ बैठे और तीन प्रमुख मांगें मान ली गईं।
इसके बाद बुधवार शाम को सफाई कर्मियों ने आंदोलन वापस ले लिया और काम पर लौट आए। इस दौरान शहर की सड़कों पर झाडू़ लगने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली। 14 सूत्रीय थी मांग
गौरतलब है कि नगर पालिका के 136 सफाई कर्मी मानदेय बढ़ाने और नियमितीकरण सहित 14 सूत्रीय मांगों को लेकर बुधवार को लगातार दूसरे दिन हड़ताल पर बैठे रहे। इसका असर यह हुआ कि पूरे शहर में कचरा ही कचरा हो गया।
मार्केट क्षेत्र में कन्य महाविद्यालय, बड़ा बजार, साईं मंदिर, बड़ा बाजार में ट्रांसफर्मर के पास, छोटा बाजार में ट्रांसफार्मर के पास, जैन मंदिर पहुंच मार्ग सहित नगर की सभी सड़कों और कुलियों में कचरे के ढेर लगे थे। इससे लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था।
घरों में बदबू मार रहे थे डस्टबिन हड़ताल के कारण जहां एक ओर शहर की सड़कों की सफाई नहीं हुई वहीं दूसरी ओर वार्डों में भी कचरा संग्रह वाहन नहीं पहुंचे। इससे लोगों के घरों में डस्टबिन से भरा कचरा बदबू मारने लगा। अधिकांश लोगों ने तो आसपास लगे कचरे के ढेर में ही डस्टबिन खाली कर लिए।
यह मांगें मानी सफाई कर्मी और प्रशासन के बीच गतिरोध दूर करने अध्यक्ष मोहनलाल कुशवाहा सुबह से ही लगे थे। शाम को विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह, एसडीएम वीवी पांडेय, कांग्रेस नेता शिवजीत सिंह सहित नगर पालिका के पार्षद आदि पहुंच गए। सभी की उपस्थिति में हुई बैठक में सफाई कर्मियों के लंबित सभी प्रकार के एरियर्स का भुगतान करने की बात मान ली गई।
इसके साथ ही नियमितीकरण की मांग को भी मान लिया गया है। मानदेय बढ़ाए जाने सहित अन्य प्रमुख मांगों को मान लिया गया है। सफाई कर्मियों की अधिकांश मांगें माने जाने के बाद शाम को हड़ताल वापस ले ली गई।
नपा में कुल सफाईकर्मी- 136
नियमित- 36
कलेक्टर रेट – 24
संविदा- 76
प्रतिदिन शहर ने निकले वाला ठोस अपशिष्ट- 12-13 टन
नियमित- 36
कलेक्टर रेट – 24
संविदा- 76
प्रतिदिन शहर ने निकले वाला ठोस अपशिष्ट- 12-13 टन