बाद में अधिकारियों द्वारा समुचित सहयोग का आश्वासन दिए जाने के बाद ग्रामीण माने और मृतक का अंतिम संस्कार करने को तैयार हुए। जानकारी के अनुसार ग्राम धरमपुर निवासी राजू कुशवाहा पिता मथुरा प्रसाद कुशवाहा (45) को कुछ माह पूर्व ही वन विभाग में अस्थायी रूप से चौकीदार के पद पर तैनात किया गया था।
बताया गया कि २ मई को जंगल में आग लगे होने की सूचना पर अधिकारियों ने राजू को आग बुझाने भेजा। आग बुझाने के दौरान अचानक राजू फिसल गया, इससे उसको गंभीर चोट आई थी। उसे अजयगढ़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया था, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया था।
जिला अस्पताल से भी उसे रीवा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया था, जहां 10 मई की शाम इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। चौकीदार के घायल होने से मौत तक अधिकारियों ने न उसकी सुध ली और न ही किसी प्रकार की सहायता की। इससे ग्रामीण आक्रोशित हो गए थे।
परिवार में अकेला कमाने वाला था राजू मृतक अपने परिवार में अकेला कमाने वाला था। उसकी मौत के बाद परिवार के सामने दो जून की रोटी का संकट आ गया है। परिवार के भरण पोषण के लिए खेती योग्य जमीन भी नहीं है और न ही बीपीएल कार्ड बना है।
दो बेटों में से एक पांच साल से कोमा में है और दूसरा दिव्यांग है, जबकि एक विवाह योग्य बेटी है। डेढ़ माह पूर्व ही चैकीदारी में लगा था। हादसे के बाद विभाग द्वारा किसी प्रकार की सहायता नहीं मिलने के कारण परिवार के पास जो कुछ भी था इलाज में खर्च हो गया।
रेंज कार्यालय के बाहर शव रखकर लगाया जाम मामले में किसी प्रकार की सहायता नहीं मिलती देख ग्रामीण आक्रोशित हो गए और मृतक के शव को रेंज कार्यालय के बाहर रखकर जाम लगा दिया। ग्रामीण इसलिए आक्रोशित थे कि विभाग द्वारा राजू को किसी प्रकार की सहायता नहीं की गई। मृतक का शव गांव आने के बाद ग्रामीण एकत्रित हुए और शव को रेंज कर्यालय के गेट के बाहर रखकर सुबह करीब साढ़े 8 बजे जाम लगा दिया।
यह जाम करीब 4 घंटे तक चला। मामले की जानकारी लगने के बाद अजयगढ़ एसडीएम आयुषी जैन, तहसीलदार अतुल सोनी, एसडीओपी इसरार मंसूरी, रेंजर बीके विश्वकर्मा, नायब तहसीलदार शारदा प्रसाद सोनी, हल्का पटवारी लाला हंशराज पटेल, सचिव बुद्ध सिंह, रोजगार सहायक ब्रजेन्द्र सिंह ने मौके पर पहुंचकर परिवार के लोगों को 10 हजार रुपए की तत्काल सहायता दिलाई।
इसके साथ ही वन विभाग द्वारा अनुकंपा नियुक्ति देने की बात भी कही गई। साथ ही परिवार के बेटी के विवाह में सहयोग करने और कोमा में चल रहे बच्चे का इलाज कराने की आश्वासन भी दिया गया। अधिकारियों से मिले आश्वासन के बाद गांव के लोग मृतक का अंतिम संस्कार करने को तैयार हो गए।