वनों को आग की लपटों से बचाने 21 गांवों के लोगों को किया जागरुक
पन्ना टाइगर रिजर्व के सीमावर्ती गांवों के लोगों को पूरे महीने चले कार्यक्रम में दी गई जंगलों को आग से बचाने की जानकारी
कार्यक्रम में सात सौ से भी अधिक लोगों ने लिया हिस्सा

पन्ना. भीषण गर्मी के दिनों में थोड़ी सी भी लापरवाही हजारों एकड़ के जंगल को जलाकर नष्ट कर देती है। जंगल में आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए टाइगर रिजर्व प्रबंधन और दा लास्ट वाइल्डरनेश फाउंडेशन द्वारा सीमावर्ती गांवों के लोगों को फायर शेफ्टी के प्रति जागरुक किया गया। पूरे माह चले इस कार्यक्रम में २१ गांवों के ७०० से भी अधिक ग्रामीणों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के समापन अवसर पर सभी ग्रामीणों को जंगल को आग से बचाने का संकल्प दिलाया गया।
दा लास्ट वाइल्डनेश फाउंडेशन के फील्ड क्वॉर्डिनेटर इंद्रभान सिंह बुंदेला ने बताया, जागरुकता कार्यक्रम की शुरुआत २७ जनवरी से की गई थी। इसमें हर दिन एक गांव के लोगों को बुलाकर उन्हें जंगल में लगने वाली आग को बुझाने के उपायों और आग लगने के कारणों के बारे में बताया गया।
जंगल की सुरक्षा के लिए किया प्रेरित
प्रोजेक्टर के माध्यम से भी वन और वन्य जीवों का महत्व समझाते हुए आग से जंगल को होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी गई। इसके अलावा विविध खेलों के माध्यम से भी लोगों को जंगल की सुरक्षा करने के लिए प्रेरित किया जा रहा था। लोगों को खासकर महुआ बीनने के लिए सूखे पत्तों में आग नहीं लगाने, बीड़ी, सिगरेट आदि पीने के बाद जलते हुए तुकड़े को नहीं फेकने, संदिग्ध लोगों के जंगल में जाने की जानकरी लगने पर वन अमले को देने की जानकारी दी गई। ग्रामीणों को जंगल का भ्रमण भी कराया गया।
इन गांवों के लोगों को किया गया शामिल
इस साल जागरुकता कार्यक्रम में जिन गांवों के लोगों को शामिल किया गया उनमें पन्ना बफर जोन के ग्राम झिन्ना, सलैया, घुर्रहो, बहनरी, पाठा और हनुमतपुर गांव हैं। इसी प्रकार से गंगऊ अभ्यरणय क्षेत्र के ग्राम हरसा, बगौहा, जरुआपुर, मड़ला रेंज के ललार, चंंद्रनगर रेंज के रनगुवां, काबर, सलैया, इमलिया और ढोढन। इसी प्रकार से किशनगढ़ बफर रेंज के पाठापुर, पटौरी, अमानगंज बफर के पंडवन व कोनी और पन्ना कोर के ग्राम जरधोरा के लोगों को जागरुक किया गया है। उन्होंने बताया, पूर्व के सालों में देखा गया है कि जिन गांवों के लोगों को जागरुक किया गया है उन क्षत्रों के जंगलों में आग लगने की घटनाएं कम ही सामने आई हैं।
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