पांडव फॉल में ही चंद्रशेखर आजाद ने देश से अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया था। इस बैठक में क्षेत्र के 500 से अधिक क्रांतिकारी शामिल हुए थे। इस बैठक में क्षेत्र के 500 से अधिक क्रांतिकारी शामिल हुए थे। इसका मुख्य कारण यह था कि आजाद ब्राह्मण परिवार से थे और अपना आदर्श महाभारत के उन पांचों पांडवों को मानते थे जिन्होंने सत्य की जीत के लिए पूरा कौरवों का साम्राज्य खत्म कर दिया था।
आजाद ने पांडव फॉल में क्रांतिकारियों की बैठक लेकर पूरे देश में आजादी की अलख जगाई थी। एमपी टूरिज्म ने अमर शहीद आजाद की यादों को संरक्षित करने यहां उनका स्मारक बनाया है।
एसपी का ड्राइवर बन अंग्रेजों को दिया चकमा
सांडर्स हत्याकांड, काकोरी ट्रेन डकैती और दिल्ली असेंबली बम कांड के बाद आजाद का ज्यादातर समय बुंदेलखंड और उससे लगे इलाकों में बीता। वे मथुरा और बुंदेलखंड के झांसी में कुछ वक्त गुजारकर बांदा में हस्तरेखा विशारद बनकर अज्ञातवास में छिपे रहे।
जानकार बताते हैं कि दिल्ली असेंबली विस्फोट के बाद आजाद कुछ दिनों तक मथुरा में रहे। इस बीच तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने उनकी गिरफ्तारी के लिए 10000 रुपए इनाम की घोषणा कर दी थी। तब मथुरा को सुरक्षित स्थान न मानकर आजाद झांसी आ गए और यहां एसपी के ड्राइवर के रूप में रहे।
उसी दौरान बांदा का दो बार भ्रमण कर गए। कुछ दिनों बाद झांसी के एसपी को उन्हें गिरफ्तार करने का पत्र मिला, जो आजाद के हाथ लग गया। जिसे पढ़कर वे वहां से भाग गए।