हालात यह है कि लोगों को छोटी-छोटी सुविधा के लिए भी कोर्ट की शरण लेनी पड़ती है। बीते एक साल में लोगों को सड़कों के गड्ढे भरवाने, यातायात व्यवस्था सुधारने, सड़क किनारे मनमानी तरीके से फेंके जा रहे कचरे को हटाने जैसी मांगों को लेकर कोर्ट पहुंचना पड़ा।
वर्षों बाद बाइपास की दुर्गंध से मिली मुक्ति शहर का अजयगढ़ बाइपास मार्ग दोनों ओर पहाडिय़ों से घिरा है। पेड़-पौधों की अधिकता और हरियाली के कारण यहां वर्षभर लोग घूमने आते हैं। नगर पलिका द्वारा नगर से निकलने वाले ठोस कचरे को बीते कई महीनों से यहां फेंका जा रहा था। गर्मी के दिनों में उक्त कचरे में आग लगा दी जाती थी, जिससे यहां से गुजरने वाले लोग कचरे से उठने वाले जहरीले धुएं के कारण परेशान रहते थे।
वहीं बारिश में भीगने के बाद कचरा दुर्गंध देता था। इस ओर नगर पालिका परिषद और जिला प्रशासन का ध्यान कई बार आकृष्ट कराया गया, लेकिन कोई सार्थक प्रयास नहीं किए गए। इसे देखते हुए वकील राजेश दीक्षित ने मामले को लोकोपयोगी लोक अदालत में रखा।
बीते माह भी इसी मामले को लेकर कोर्ट में पेशी हुई थी जहां नगर परिषद से जुड़े लोग और कलेक्टर प्रतिनिधि हाजिर हुए थे। मामला लोकोपयोगी लोक अदालत में जाने के बाद नगर पालिका प्रबंधन जागा और अब बाइपास पर सड़क किनारे से लगे कचरे के ढेर को मशीन के माध्यम से समतल करा दिया है।
पाइपलाइन के गड्ढे भरवाने और यूरिनल रखवाने के लिए भी लेनी पड़ी कोर्ट की शरण बीते दो साल से पाइपलाइन डालने का काम ठेकेदार द्वारा किया जा रहा था। उक्त कार्य के लिए ठेकेदार ने शहर की सभी सड़कों और गलियों को खोदकर पाइप लाइन डालने के बाद मिट्टी से ढक दिया था। बारिश के दौरान मिट्टी के बैठ जाने से सभी सड़कों में नालीदार गड्ढे हो गए थे।
बारिश के दौरान बड़ी संख्या में वाहन चालक फिसलकर गिर रहे थे। इस समस्या की ओर नगर पालिका का ध्यान आकृष्ट कराने के बाद भी उक्त काम को नहीं कराया जा रहा था। इसके बाद मामले को लोकोपयोगी लोक अदालत में रखा गया। जहां कोर्ट की हिदायत के बाद सीएमओ को लिखित में नगर में पाइपलाइन डालने के लिए खोदे गए सभी गड्ढों को एक माह के अंदर भरने का आश्वासन देना पड़ा।
इसी प्रकार यूरिनल जैसी सुविधा के लिए भी पवित्र नगरी में गणेश मार्केट के व्यापारियों को सालों तक संघर्ष करना पड़ा। गणेश मार्केट, कटरा मार्केट में करीब आधा सैकड़ा छोटी-बड़ी दुकानें हैं, लेकिन आसपास कहीं सार्वजनिक शौचायल और यूरिनल नहीं है। ऐसे में व्यापारियों को काफी समस्या हो रही थी। अधिवक्ता ने व्यापारियों की इस समस्या को लोकोपयोगी लोक अदालत में रखा। नगर पालिका ने गणेश मार्केट क्षेत्र में एक मोबाइल यूरिनल रखवा दिया है।
आवारा मवेशियों से फिर भी मुक्ति नहीं आवारा मवेशियों की समस्या अभी तक बनी है। आवारा मवेशियों के कारण दो लोगों की मौत भी हो चुकी है। इसके बाद भी मामले को लेकर नगर पालिका परिषद गंभीर नहीं है। अभी तक हर गली-मोहल्ले में आवारा मवेशी देखने को मिल जाते हैं। पन्ना के पवित्र नगरी घोषित होने के बाद भी अंदर ही मांस और शराब की दुकानें चल रही हैं।
पालिका की ओर से पॉलीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध होने के बाद भी इसका असर कहीं देखने को नहीं मिल रहा है। जुगल किशोर मंदिर में प्रसाद को पॉलीथिन में दिया जा रहा है। नपाध्यक्ष मोहनलाल कुशवाहा के अनुसार बाइपास से कचरा हटाने के मामले में कोर्ट ने कुछ नहीं कहा। हमारे पास कचरा डालने के लिए जगह नहीं थी।
कचरा प्रसंस्करण केंद्र छोटा पड़ रहा था। बहेरा में भी लोग ऑब्जेक्शन कर रहे थे। अभी बाइपास के पास ही कलेक्टर ने जमीन अलॉट कर दी है। वहां इतनी जगह है कि 10-15 साल तक कचरा डंप किया जा सकता है।
अधिवक्ता राजेश दीक्षित का कहना है कि यह सही है कि शहर के लोगों को छोटी-छोटी चीजों के लिए कोर्ट की शरण लेनी पड़ रही है, जबकि परिषद स्वयं के स्तर पर भी इनका निराकरण कर सकती है। ज्यादातर मामलों को मेरे द्वारा ही लोकोपयोगी लोक अदालत तक पहुंचाया गया है। इसके बाद नगर परिषद द्वारा काम कराए गए।