स्कूलों को अभी तक गैस कनेक्शन नहीं मिल पाने के कारण इन रसोईयों को बड़ी ही विपरीत परिस्थतियों में भोजन पकाना पड़ रहा है। गुमटी नुमा छोटे रसोईघरों में टीन का छप्पर लगा दिया गया है जिससे इनमें धुआं निकलने के लिए भी समुचित व्यवस्था नहीं की गई है।
धुएं से भरे कमरे में भोजन पका रही बता दें कि, उमावि आरपी क्रमांक-२ संकुल अंतर्गत आने वाले स्कूल प्राइमरी स्कूल राजापुर कर निरीक्षण करने के पर पाया गया कि स्कूल में भोजन पकाने वाली महिलाएं धुएं से भरे कमरे में भोजन पका रही थीं। कमरे में इतना तेज धुआं था कि कमरे के बाहर से वे साफ दिखाई भी नहीं दे रहीं थीं।
अभी तक उन्हें गैस सिलेंडर नहीं मिला पास में जाकर पूछने पर बताया गया कि अभी तक उन्हें गैस सिलेंडर नहीं मिला है। जिससे उन्हें चूल्हे में लकड़ी जलाकर ही भोजन पकाना पड़ता है। यहां काम कर रही महिलाओं के आंख से आंसू भी आ रहे थे। लगातार काम करने से उनके आंखों में जलन और आंसू निकलने की समस्या भी आ सकती है।
स्कूल का रसोई घर बेहद छोटा देखने में पाया गया कि स्कूल का रसोई घर बेहद छोटा था और इसके बाद भी इसकी छत में टीन छाए हुए थे। रसोई घर में धुएं निकलने के लिए दो खिड़कियां तो बनाई गई थीं लेकिन छत और खिड़कियों का साइज बेहद छोटा होने के कारण उनसे धुआं नहीं निकल पा रहा था।
जल्द ही चूल्हा भी खरीद लिया जाएगा इससे पूरा धुआं किचन के अंदर ही रह रहा था। हालांकि इस संबंध में संस्था के प्रभारी हेड मास्टर ने बताया कि कैन कनेक्शन के लिए करीब पांच हजार रुपए मिले थे। जिससे सिलेंडर खरीद लिया गया है। चूल्हा खरीदने के लिए रुपए कम पड़ रहे थे। इसलिए अभी तक चूल्हां नहीं खरीदा जा सका है। जल्द ही चूल्हा भी खरीद लिया जाएगा।
स्कूल के पास कचरे के ढेर
स्कूल के पास से कचरे के कई ढेर लगे हुए थे। देखने में पाया गया कि स्कूल परिसर तो साफ-सुथरा था लेकिन इसके बाहर गोबर और गांव से निकले कचरे के कई ढेर लगे हुए थे। ऐसा लग रहा था कि स्वच्छता अभियान सिर्फ स्कूल के लिए ही चल रहा है। स्कूल से सटे शौचालय के अंदर भी कचरे का ढेर लगा हुआ था। जिम्मेदार लोगों ने इसे साथ कराने का प्रयास ही नहीं किया। ऐसा लग रहा था कि यह कचरा महीनों से यहीं पड़ा हुआ है। स्कूल के शौचायल में भी ताला लटकता मिला।
स्कूल के पास से कचरे के कई ढेर लगे हुए थे। देखने में पाया गया कि स्कूल परिसर तो साफ-सुथरा था लेकिन इसके बाहर गोबर और गांव से निकले कचरे के कई ढेर लगे हुए थे। ऐसा लग रहा था कि स्वच्छता अभियान सिर्फ स्कूल के लिए ही चल रहा है। स्कूल से सटे शौचालय के अंदर भी कचरे का ढेर लगा हुआ था। जिम्मेदार लोगों ने इसे साथ कराने का प्रयास ही नहीं किया। ऐसा लग रहा था कि यह कचरा महीनों से यहीं पड़ा हुआ है। स्कूल के शौचायल में भी ताला लटकता मिला।
यहां भी स्कूल के पास कचरे का ढेर
जिला मुख्यालय के समीपी ग्राम हरदुआ की कन्या प्राइमरी स्कूल हरदुआ का परिसर तो काफी साफ-स्वच्छ था, लेकिन इससे कुछ ही दूरी पर सड़क के दूसरी ओर गोबर और कचरे के बड़े-बड़े ढेर लगे हुए थे। यहां भी कचरे के ढेर लगे होने से ऐसा लग रहा था कि मानों महीनों से यहां से कचरे की सफाई नहीं की गई है। ऐसे हालात में स्वच्छता अभियान मजाक से अधिक और कुछ नहीं लगता है।
जिला मुख्यालय के समीपी ग्राम हरदुआ की कन्या प्राइमरी स्कूल हरदुआ का परिसर तो काफी साफ-स्वच्छ था, लेकिन इससे कुछ ही दूरी पर सड़क के दूसरी ओर गोबर और कचरे के बड़े-बड़े ढेर लगे हुए थे। यहां भी कचरे के ढेर लगे होने से ऐसा लग रहा था कि मानों महीनों से यहां से कचरे की सफाई नहीं की गई है। ऐसे हालात में स्वच्छता अभियान मजाक से अधिक और कुछ नहीं लगता है।