वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट को लेकर बैठक को लेकर वाइल्ड लाइफ से जुड़े कुछ लोगों ने ऐतराज भी जताया है। वाइल्ड लाइफ से जुड़े बृजगोपाल बताते हैं कि केन बेतवा लिंक परियोजना का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। यहां भी मामला अंतिम चरण में है। जब मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा मामले पर चर्चा कहना ही गलत है। मैने बैठक को लेकर अपना विरोध भी डब्ल्यूआईआई में पत्र के माध्यम से दर्ज कराया है।
कहीं प्रोजेक्ट को पास कराने की तैयारी तो नहीं?
वाइल्ड लएइफ एक्सपर्ट रघु चूड़ावत ने आयोजन के औचित्य पर भी सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि नेशनल वाटर डेवलपमेंट अथॉरिटी (एनडब्ल्यूबीए) के इसारे पर उक्त प्रोजेक्ट के पक्ष में तथ्य जुटाने के लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट द्वारा काम किया जा रहा है। लोगों से सुझाव तो मागे जा रहे हैं, लेकिन अपत्तियां नहीं मांगी जा रही हैं। टूरिज्म ऑपरेटरों को बुलाया गया था लेकिन उन्होंने आयोजन के पीछे एनडब्ल्यूबीए का हाथ होने के कारण कार्यक्रम में हिस्सा लेने से इंकार कर दिया था। हालांकि वाइल्ड लाइफ से जुड़े अधिकांश लोगों को इसकी जानकारी नहीं दी गई है।
पार्क को डुबाने की इतनी ज्लदी क्यो?
मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के बाद भी परियोजना के पक्ष में जिस तरह से माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है उससे वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट बृजगोपाल सवाल उठाते हैं। उनका कहना है कि जबतक सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता है तब तक ऐसा क्यों माना जा रहा है कि प्रोजेक्ट को रही झंड़ी मिल रही है। उन्होंने लैंड स्केप डेवलपमेंट से केन बेतवा लिंक परियोजना को जोड़े जाने पर भी आपत्ति जताई है। वहीं वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट हनुमंत प्रताप सिंह ने कहा, उन्हें इस संबंध में औपचारिक रूप से जानकारी नहीं दी गई है। हालांकि उन्हें इस संबंध में दूसरे लोगों से पता चला है।
कुछ इस तरह प्रस्तावित है लिंक परियोजना का स्वरूप
बुन्देलखंड क्षेत्र की जीवनदायिनी केन नदी की कुल लम्बाई 427 किमी है। ग्राम ढोढन में जहां बांध बन रहा है, वहां से केन नदी की डाउन स्ट्रीम की लम्बाई 270 किमी है। बांध की कुल लम्बाई 2031 मीटर है। जिसमें कांक्रीट डेम का हिस्सा 798 मीटर व मिट्टी के बांध की लम्बाई 1233 मीटर है। बांध की ऊंचाई 77 मीटर है। ढोढनबांध से बेतवा नदी में पानी ले जाने वाली लिंक कैनाल की लम्बाई 220.624 किमी होगी। बांध का डूब क्षेत्र 9 हजार हेक्टेयर है, जिसका 90 फीसदी से भी अधिक क्षेत्र पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में निहित है। 105 वर्ग किमी. का कोर क्षेत्र जो छतरपुर जिले में है। डूब क्षेत्र के कारण विभाजित हो जाएगा। इस प्रकार कुल 197 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र डूब व विभाजन के कारण नष्ट हो जायेगा।
दोबारा बसे बाघ परिवार पर फिर संकट
वर्ष २००८में पन्ना टाइगर रिजर्व बाघ विहीन हो गया था। इसके बाद वर्ष २००९ में यहां 2009 में यहांबाघों के उजड़ चुके संसार को फिर से बसाने के लिये बाघ पुनस्र्थापना योजना शुरू की गई। जिसे उल्लेखनीय सफलता मिली । बीते १० वर्षों में यहां पर करीब ९० बाघ शावकों का जन्म हुआ है। फिलहाल पन्ना टाइगर रिजर्व में ५५ से ६० बाघ हैं। केन बेतवा लिंक परियोजना से बाघों पर दोबारा खतरे के बादल मंडराने लगे हैं।
यह बैठक होना ही नहीं चाहिए। जब केन-बतवा लिंक परियोजना का मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो इस मामले में चर्चा करना ही गलत है। संभवतया बैठक के हेडन एजेंडा प्रोजेक्ट को पास कराने के लिए तथ्य जुटाना होगा। पूरा आयोजन नेशनल वाटर डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा प्रायोजित समझ में आता है।
डॉ. रघु चूड़ावत, वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट
लैंड स्केप डेवलपमेंट को लेकर बैठक आयोजित हो रही है। इससें बाघों का कॉरिडोर भी शामिल है। लैंड स्केप डेवलपमेंट समीपी जिलों का क्षेत्र भी शामिल होने से यहां के अधिकारियों को भी बुलाया गया है।
रामहरि ईश्वरदास जरांडे, डिप्टी डायरेक्टर पन्ना टाइगर रिजर्व