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नाबालिग से बलात्कार मामले में पहले कोर्ट ने ठुकराई पुलिस की रिपोर्ट, फिर सुना दिया उम्रकैद, दो लाख रुपए जुर्माना भी ठोका

locationपन्नाPublished: Jan 13, 2019 01:45:28 am

Submitted by:

Bajrangi rathore

नाबालिग से बलात्कार मामले में पहले कोर्ट ने ठुकराई पुलिस की रिपोर्ट, फिर सुना दिया उम्रकैद, दो लाख रुपए जुर्माना भी ठोका

rape in panna

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पन्ना। मप्र के पन्ना जिले में नाबालिग से बलात्कार के करीब तीन साल पुराने मामले में डीएनए रिपोर्ट के आधार पर सहेला पुलिस ने कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट पेश कर मामले में खात्मा लगाने की अपील की थी। पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट का परीक्षण करने के बाद कोर्ट ने पाया कि आरोपी के खिलाफ मामला चलाने के लिए पर्याप्त आधार है।
कोर्ट ने पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट को ठुकराते हुए मामले को संज्ञान में लिया था। मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद शनिवार को कोर्ट ने आरोपी को आजीवन कैद और दो लाख रुपए के जुर्माने से दंडित किया है।सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी आशुतोष कुमार द्विवेदी ने बताया, सलेहा थाना क्षेत्र निवासी नाबालिग को 7 दिसंबर 2015 को 5-6 माह का गर्भ ठहरने के बाद दर्द होने पर देवेंद्रनगर अस्पताल लाया गया था। यहां उसका गर्भपात हो गया था।
अस्पताल की सूचना के आधार पर पीडि़ता से पूछताछ पर बताया, गांव के भूरी उर्फ कुंज बिहारी पांडेय ने उसके साथ बलात्कार किया था जिसके बाद उसे गर्भ ठहर गया था। आरोपी क्षेत्र का प्रभावशाली व्यक्ति है और किसी के भी पुलिस में जानकारी देने पर परिवार के लोगों को जान से मरने की धमकी दी थी। इस कारण मामले की किसी को जानकारी नहीं दी गई थी।
पीडि़ता और माता-पिता के बयान

सलेहा पुलिस की ओर से पेश क्लोजर रिपोर्ट के पूर्व कोर्ट में पीडि़ता और उसके माता-पिता के बयान लिए गए थे। इसमें पीडि़ता ने आरोपी द्वारा बलात्कार की बात बताई गई। मां और पिता ने भी न्यायालय के समक्ष हुए कथन में आरोपी द्वारा बलात्कार की बात बताई गई है।
पीडि़ता ने यह भी बताया कि आरोपी ने उससे कहा था कि डीएनए जांच के लिए गए ब्लड सेंपल बदलवा दिया है और जब न्यायालय कथन देने आ रही थी तब भी आरोपी कार में मिला और धमकी दिया कि बयान देने नहीं जाओ वरना ट्रैक्टर से कुचलवाकर तुम सभी को खत्म करा देंगे।
पीडि़ता ने मांग की कि ब्लड सेंपल की दोबारा जांच की जाए। क्लोजर रिपोर्ट के अवलोकन के बाद विशेष न्यायाधीश अमिताभ मिश्रा ने कहा था, कोई भी नाबालिक और माता-पिता बलात्कार जैसे गंभीर अपराध में किसी को झूठा नहीं फंसाना चाहेंगे। पीडि़ता ने खात्मा प्रतिवेदन पर साक्ष्य में यह प्रकट किया है कि आरोपी ने पैसे तथा प्रभाव का इस्तेमाल कर ब्लड सेंपल को बदलवा दिया है।
इन परिस्थितियों में डीएनए रिपोर्ट में नकारात्मक रिपोर्ट की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने थाना सलेहा के क्लोजर रिपोर्ट को अस्वीकार करते हुए केस डायरी में संलग्न दस्तावेजी साक्ष्य एवं पीडि़ता, माता-पिता के कथनों के आधार पर आरोपी के विरुद्ध धारा 376, 506 आइपीसी एवं 5/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपराध का संज्ञान लिया था।
लोक अभियोजन के अनुसार प्रदेश में संभवत: इस तरह का यह पहला मामला है जिसमें डीएनए रिपोर्ट नेगेटिव होने पर पुलिस ने खात्मा प्रस्तुत किया था।

डीएनए रिपोर्ट के आधार पर लगाई क्लोजर रिपोर्ट
मामले में नवजात के शव परीक्षण और पीडि़ता की मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर सलेहा थाने में आरोपी के खिलाफ ज्यादती सहित अन्य धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया गया था। जांच के दौरान पुलिस ने पीडि़ता और माता-पिता के बयान दर्ज किए।
पुलिस ने मृत नवजात का फीमर बोन, पीडि़ता व आरोपी का एफएसएल सागर की डीएनए प्रिंटिंग यूनिट में जांच कराई। डीएनए रिपोर्ट में बताया गया, पीडि़ता नवजात की जैविक माता है, किन्तु आरोपी जैविक पिता नहीं है। इस आधार पर पलिस ने प्रकरण में खात्मा प्रतिवेदन न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया। मामले को आगे बढ़ाने के लिए पुलिस को प्रर्याप्त साक्ष्य नहीं मिलने के कारण कोर्ट से खात्मा लगाने की अपील की गई।
सुनाया फैसला

प्रकरण का विचारण विशेष न्यायाधीश अमिताभ मिश्रा ने अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य और न्यायिक दृष्टांतों के आधार पर आरोपी को दोषी पाया। न्यायालय से अभियोजन ने आरोपी को कठोर दंड से दंडित किए जाने का निवेदन किया गया। न्यायालय ने अभियोजन के तर्कों से सहमत होते हुए आरोपी को धारा 376 आइपीसी व धारा 5/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम में आजीवन कारावास और 2 लाख रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया है।
अर्थदंड की अदायगी नहीं करने पर एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास की सजा होगी। आरोपी को 506 भाग 2 में दो वर्ष का कारावास और 2000 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया। जिला लोक अभियोजन अधिकारी प्रवीण कुमार सिंह ने शासन की ओर से पैरवी की।
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