समुचित रख-रखाव नहीं
सिद्धनाथ मंदिर के बाहरी दीवारों पर दुर्लभ पाषाण प्रतिमाएं जड़ी हुई हैं। इसका समुचित रखरखाव नहीं हो पाने के बाहरी हिस्से में लगी मूर्तियां समय-समय पर चोरी होती रही हैं। इसको लेकर कभी गंभीरता पूर्वक जांच तक नहीं हो पाई है। पत्रिका द्वारा इस मामले को उठाए जाने के बाद पूरा अमला हरकत में आ गया है। मामला सामने आने के बाद एसडीएम ने राजस्व अमले को सोमवार दोपहर सिद्धनाथ आश्रम भेजा। पटवरी अंकित बागरी, ग्राम रोजगार सहायक राकेश दुबे व सचिव उमाश्ंाकर त्रिपाठी गांव पहुंचे और लोगों से पूछताछ कर पंचनामा तैयार किया। बताया कि मूर्तियां कई सालों पूर्व चोरी हो गई थीं।
सिद्धनाथ मंदिर के बाहरी दीवारों पर दुर्लभ पाषाण प्रतिमाएं जड़ी हुई हैं। इसका समुचित रखरखाव नहीं हो पाने के बाहरी हिस्से में लगी मूर्तियां समय-समय पर चोरी होती रही हैं। इसको लेकर कभी गंभीरता पूर्वक जांच तक नहीं हो पाई है। पत्रिका द्वारा इस मामले को उठाए जाने के बाद पूरा अमला हरकत में आ गया है। मामला सामने आने के बाद एसडीएम ने राजस्व अमले को सोमवार दोपहर सिद्धनाथ आश्रम भेजा। पटवरी अंकित बागरी, ग्राम रोजगार सहायक राकेश दुबे व सचिव उमाश्ंाकर त्रिपाठी गांव पहुंचे और लोगों से पूछताछ कर पंचनामा तैयार किया। बताया कि मूर्तियां कई सालों पूर्व चोरी हो गई थीं।
पुरातत्व विभाग की टीम आज आएगी
पुरातत्व विभाग ग्वालियर में पदस्थ पुरातत्वविद् और पन्ना प्रभारी डॉ. गोविंद बाथम मंगलवार को पन्ना आएंगे। उन्होंने बताया यहां वे सिद्धनाथ आश्रम को लेकर भी चर्चाकरेंगे। इसके बाद अगे निभाग के वरिष्ठअधिकारियों के परामर्श के बाद निर्णय लिया जाएगा।
यहां मुनि अगस्त से मिले थे श्रीराम
ऐसा बताया जा रहा है कि बनवास के दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ मुनि अगस्त से मिलने उनके आश्रम आए थे। यह आश्रम सिद्धनाथ आश्रम के रूप में पहचाना जाता है। कालातर में ६वीं सदी में यहां भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया था। उक्त मंदिर वर्तमान में न सरकार के पास और और न ही पुरातत्व विभाग के पास। किसी के निजी स्वामित्व में भी नहीं है। इससे यह सदियों से उपेक्षा का शिकार है। विकास नहीं हो पाने का मूल कारण भी संभवतया यही है। अभी तक इसके रखरखाव की जिम्मेदारी किसी को नहीं दी गईहै। गांव और आसपास के लोग ही मिलकर इसका रखरखाव करते हैं। ग्राम पंचायत द्वारा भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
ऐसा बताया जा रहा है कि बनवास के दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ मुनि अगस्त से मिलने उनके आश्रम आए थे। यह आश्रम सिद्धनाथ आश्रम के रूप में पहचाना जाता है। कालातर में ६वीं सदी में यहां भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया था। उक्त मंदिर वर्तमान में न सरकार के पास और और न ही पुरातत्व विभाग के पास। किसी के निजी स्वामित्व में भी नहीं है। इससे यह सदियों से उपेक्षा का शिकार है। विकास नहीं हो पाने का मूल कारण भी संभवतया यही है। अभी तक इसके रखरखाव की जिम्मेदारी किसी को नहीं दी गईहै। गांव और आसपास के लोग ही मिलकर इसका रखरखाव करते हैं। ग्राम पंचायत द्वारा भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
शाम को पुलिस टीम भी पहुंची
दोपहर में राजस्व की टीम ने लोगों से पूछताछ की तो शाम को सलेहा थाने की पुलिस भी पूर्वमें चोरी गईमूर्तियों को लेकर पूछताछ करने के लिए आश्रम पहुंच गई। पुलिस द्वारा भी मंदिर के पुजारी सहित अन्य लोगों से पूछताछ की गई है। जिसमें उन्हें भी मूर्तियां पूर्व में चोरी होने की बात बताई गई। थाना प्रभारी निरंकार सिंह ने बताया, एसपी के निर्देश पर थाने की पुलिस जांच के लिए सिद्ध आश्रम भेजी गई थी। जहां पुलिस द्वारा पूछताछ की गईहै। जिसमें पूर्वमें चोरी होने की बात सामने आईहै। जिसकी रिपोर्टसलेहा थाने में है। रिकॉर्ड दिखवाया जा रहा है। जांच कराई जा रही है। पहले राजस्व अमला और फिर पुलिस के पहुंचने पर आश्रम में दिनभर चहल पहल मची रही।
मंदिर के गर्भगृह में स्थित भगवान श्री राम की अकेले जटा-जूट वाली और प्रत्यंचा चढ़ाए हुए मुद्रा वाली मूर्तिअपनी तरह की देश की इकलौती मूर्तिमानी जा रही है। राम वन गमन पथ विकास समिति के जानकारों के अनुसार श्रीराम की सीता के साथ तो कईमूर्तिया मिल सकती हंै लेकिन अकेले वाली यह अपने आप में दुर्लभ प्रतिमा है। इसको सहेजने की नितांत अवश्यकता है।