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पोर्टल में जहां काम चालू बताए जा रहे हकीकत में बंद, जानिए मनरेगा की सच्चाई

locationपन्नाPublished: Feb 21, 2019 06:40:52 pm

Submitted by:

Bajrangi rathore

पोर्टल में जहां काम चालू बताए जा रहे हकीकत में बंद, जानिए मनरेगा की सच्चाई

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पन्ना। मप्र में मनरेगा के पोर्टल में दिखाई जा रही जानकारी और पंचायतों की मैदानी स्थिति में बड़ा अंतर है। पोर्टल में जहां काम चालू बताए जा रहे मौके पर वहां काम बंद मिलते हैं और जहां काम पूर्ण हो चुका होता है वहां के मस्टर चल रहे होते हैं।
ऑनलाइन और मैदानी हकीकत में अंतर होने के कारण ही मजदूरों के समय पर भुगतान नहीं हो पाने की समस्या खड़ी हो रही है। बड़ी संख्या में ट्रांजेक्शन रिजेक्ट होने का एक बड़ा कारण भी यही है। मनरेगा के पोर्टल और मैदानी गड़बड़ी को पकडऩे के लिए एनजीओ समर्थन द्वारा युवाओं की टीम का गठन किया गया है।
टीम ने पोर्टल की जानकारी के आधार पर जब ग्रामीण अंचल का दौरा किया तो बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई। जिसके संबंध में जिला प्रशासन को भी अवगत कराया गया है। जिले में मनरेगा सहित पोर्टल पर सरकार द्वारा जारी जानकारी का भैतिक सत्यापन करने एवं ग्रामीण जनसमुदाय को डिजीटल जानकारी से अवगत कराने समर्थन संस्था ने बुंदेलखंड युवा फोरम का गठन किया है, जिसमें 30 सदस्य कार्यकारी समिति में एवं सामान्य सदस्य सहित 400 से अधिक युवा शामिल है।
पन्ना सहित पूरे बुन्देलखंड में डिजीटल पोर्टल पर सरकार ने जानकारी तो उपलब्ध करा दी, लेकिन उसका जमीन में कोई सत्यापन करने वाला नहीं है। यह फोरम गांव- गांव मजदूरों को डिजिटल जानकारी प्रदान करने का काम कर रहा है। ग्रामीणों के साथ हो रहे डिजीटल अपराध पर रोक लगाने एवं जानकारी को बढ़ाने का काम किया जा रहा है।
पोर्टल पर लगे मजदूरों एवं चालू कार्य का किया त्वरित सर्वे: मनरेगा पोर्टल पर पन्ना जनपद पंचायत के ग्राम पंचायतों में इ-मस्टर जारी किए जाते हैं, जिनमें 18 फरवरी को 3153 मजदूर लगे दिखाये गए। पंचायतों ने बताया कि मस्टर जारी कर देते हैं और जब मजदूर नहीं आते हैं तो उनको अनुपस्थित कर देते हैं, लेकिन जिले के सर्वर पर लगभग 12 हजार से ज्यादा मजदूर काम करते हुए दिख रहे होते हैं, लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और है।
मनरेगा में मजदूरों का समय पर पैसा नहीं मिलने से पंचायतों के सामने संकट की स्थिति है। पंचायतें ठेके पर काम पूरा करा लेती हैं और फिर अपने विश्वास पात्र मजदूर के खाते में पैसा डालकर वापस लेती हैं और फिर ठेकेदार को देती हैं। इस सच्चाई को इमानदारी में कैसे बदला जाए यह चुनौती है।
जानकारी मिलते ही ग्रामीण लगा रहे आरोप

समर्थन संस्था के रीजनल क्वार्डिनेटर ज्ञानेंद्र तिवारी ने बताया, पोर्टल की जानकारी ग्रामीणो के सामने रखने पर ग्रामीण पूरी कहानी बता रहे हैं। मकरी कुठार के रूकमन सिंह एवं स्वर्ण सिंह सहित कई पीएम आवास के हितग्राहियों ने बताया कि मजदूरी का रुपया अभी तक नहीं मिली है, लेकिन पोर्टल पर देखने से पता चला कि इनके पैसे तो निकल गए हैं। पीएम आवास की मजदूरी में बहुत बड़ी समस्या है।
वास्तविक मजदूर एवं हितग्राही को पैसा नहीं देकर सैकड़ों मामलों में दूसरों के खातो में रुपए ट्रांसफर किए गए हैं। जिसकी जानकारी जिला पंचायत से लेकर ग्राम पंचायत के सचिव तक को होती है, लेकिन मामले में अफसरशाही द्वारा कोई न कोई समस्या बता दी जाती है।

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