यह जानकारी अधिकृत रूप से मनरेगा के पोर्टल में उपलब्ध है। इसके बाद भी जिले के जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। मजदूरों को उनका हक नहीं दिया जा रहा है। गौरतलब है कि मनरेगा के तहत मजदूरों को साल में 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी गई है। जिले में इसके तहत एक लाख से भी अधिक जॉबकार्ड जारी किए गए हैं। शाहनगर जनपद पंचायत में मजदूरों का सबसे अधिक शोषण किया जा रहा है।
इस तरह मजदूरों का हुआ शोषण जिले के अन्य जनपद में देखा जाए तो औसत मजदूरी 174 रुपए दी गई है, लेकिन शाहनगर की ग्राम पंचायत टूड़ा में सितंबर 2018 में 10 और अक्टूबर में 33 रुपए औसत मजदूरी का भुगतान प्रतिदिन किया गया। चन्द्रवाल में फरवरी 2018 में 100 रुपए प्रतिदिन और जनवरी में 110 रुपए का भुगतान किया गया।
वहीं मुलपारा में जनवरी 2019 में 101 रुपए, थेपा में दिसंबर 2018 में 125 रुपए, महेवा में जुलाई 2018 में 109 रुपए, जमुनहाई में अप्रैल 2018 में 113 रुपए प्रति मजदूर औसत मजदूरी का भुगतान किया गया। सरकारी रिकॉर्ड में ही महीनों से गरीब मजदूरों का शोषण किया जा रहा है।
राज्य कार्यक्रम प्रबंधक, समर्थन भोपाल के ज्ञानेंद्र तिवारी का कहना है कि अफसरशाही द्वारा मजदूरों का गलत तरीके से शोषणा किया जा रहा है। मजदूरों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाएंगे। मामले को आगामी दिनों में विधिक सेवा प्राधिकरण में रखा जाएगा। मजदूरों का हक दिलाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।