छतरपुर जिले की हर्रई और बांदा जिले की बिलहरका रेत खदान लगी हुई हैं। इस इलाके में छतरपुर और बांदा की सीमा को लेकर विवाद है, जिसे हाईकोर्ट लखनऊ के आदेश के बाद सुलझाने के प्रयास छतरपुर प्रशासन ने किए, लेकिन विवाद पूरी तरह से निपट नहीं पाया है। कोरोना कफ्र्यू लग लगा और इधर छतरपुर के ठेकेदार ने रेत की रॉयल्टी जमा नहीं की, जिससे हर्रई में वैध उत्खनन बंद है। इसी का लाभ उठाते हुए बांदा के ठेकेदार रात के अंधेरे व सुबह के समय हर्रई से अवैध रुप से रेत निकाल कर यूपी में सप्लाई कर रहे हैं।
छतरपुर जिले में धसान नदी में अलीपुरा रेत खदान अवैध रुप से संचालित की जा रही है। टीकमगढ़ के माफिया छतरपुर जिले की सीमा से न केवल रेत का अवैध उत्खनन कर रहे हैं। बल्कि रेत ले जाने वाले ट्रैक्टरों के लिए गेट पास भी जारी कर रहे हैं। हैवी मशीनों से अलीपुरा रेत खदान से दिन रात रेत का अवैध उत्खन किया जा रहा है। दिन में ही ट्रैक्टर अवैध रेत का परिवहन भी कर रहे हैं, जो इन्ही गेट पास के जरिए छतरपुर, महोबा व टीकमगढ़ तक रेत की सप्लाई कर रहे हैं। जबकि वैध खदान बंद होने से गेट पास का इस्तेमाल भी अवैध है।
जिले में सीधे तौर पर अवैध उत्खनन नहीं हो रहा है। पड़ोसी जिले से घुसकर जिले में अवैध उत्खनन की शिकायत पर समय-समय पर कार्रवाई की गई है। अलीपुरा में कार्रवाई की गई थी। अभी जिन खदानों के बारे में सूचना मिली है, उन पर भी कार्रवाई की जाएगी।
अमित मिश्रा, खनिज अधिकारी