गौरतलब है कि भैरोटक घाटी की हालत बहुत ही खराब है। पूरी घाटी में एक से लेकर दो फीट तक के गहरे गड्ढे हैं। कई स्थानों पर हालत यह है कि पूरी की पूरी सड़क उखड़ गई है। सालों से इसकी मरम्मत नहीं कराई गई है। इससे वाहन चालकों को उक्त मार्ग से आवागमन में भारी परेशानी उठानी पड़ती है।
अधिवक्ता राजेश दीक्षित ने बताया कि मार्ग में कछुआ चाल से चल रहे निर्माण कार्य और गड्ढों के कारण हो रहे हादसे के मामले को लोकोपयोगी लोक अदालत में लगाया गया। इसी पर हुई पेशी में अधिकारियों ने 15 दिन के अंदर सतना से बमीठा तक पूरे मार्ग के गड्ढे भरने की बात कही थी, लेकिन एक माह बाद भी इन गड्ढों को नहीं भर सके।
इसके कारण घाटी में आए दिन वाहन फंस रहे हैं और घंटों जाम के हालात बने रहते हैं। इसके बाद भी जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। वाहन चालक मार्ग की खस्ता हालत के कारण सालों से परेशान हैं। वाहनों में टूट-फूट भी बढ़ी है।
आए दिन लग रहा जाम गड्ढों को भरने का काम कछुआ गति से चल रहा है। इसके कारण इन गहरे गड्ढों में फंसने के कारण छोटे वाहन बीच मार्ग में ही खराब हो रहे हैं। इससे घाटी में आए दिन जाम के हालात बने रहते हैं। घंटों जाम में फंसे लोगों को घाटी में पीने का पानी तक नहीं मिलता है। बसों में खड़े होकर यात्रा कर रहे लोगों और बच्चों को सबसे अधिक परेशानी होती है।
लगातार हो रहे हादसे घाटी की बदहाली के कारण 4 साल में करीब दो दर्जन बसें पलट चुकी हैं। दो बसों में आग भी लग चुकी है। कई लोगों की मौत हुई और सैकड़ों घायल हुए। इसके बाद भी घाटी की हालत सुधर नहीं सकी है। भैरोटेक घाटी की तरह ही जिले की अजयगढ़ घाटी की भी हालत खराब बनी है। यहां भी घाटी के रखरखाव की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।