पासपोर्ट के लिए कई दस्तावेज जुटा रहे
देश-विदेश में स्केटिंग विलेज के नाम से पहचान बना चुका पन्ना जिले का यह आदिवासी गांव अब पासपोर्ट वाले गांव की राह पर है। इस गांव की ज्यादातर महिलाएं, बच्चे, पुरुष पासपोर्ट के लिए आवेदन कर चुके हैं। अब तक नौ लोगों के पासपोर्ट बन भी चुके हैं। इनमें छह स्केट बोडर्स और तीन महिलाएं हैं। करीब 20 लोग आवेदन करने के लिए अपने दस्तावेज जुटा रहे हैं। खास बात यह है कि पासपोर्ट के लिए पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट पेश करने के मामले में जिला प्रदेश में तीसरे नंबर पर है।
देश-विदेश में स्केटिंग विलेज के नाम से पहचान बना चुका पन्ना जिले का यह आदिवासी गांव अब पासपोर्ट वाले गांव की राह पर है। इस गांव की ज्यादातर महिलाएं, बच्चे, पुरुष पासपोर्ट के लिए आवेदन कर चुके हैं। अब तक नौ लोगों के पासपोर्ट बन भी चुके हैं। इनमें छह स्केट बोडर्स और तीन महिलाएं हैं। करीब 20 लोग आवेदन करने के लिए अपने दस्तावेज जुटा रहे हैं। खास बात यह है कि पासपोर्ट के लिए पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट पेश करने के मामले में जिला प्रदेश में तीसरे नंबर पर है।

आदिवासी महिला कमलाबाई का हाल ही में पासपोर्ट बनकर आया है। पांच साल पहले के दिनों को याद करते हुए बताती हैं कि गरीबी का दंश ऐसा था कि परिवार पालने के चक्कर में कब सुबह से शाम हो जाती थी, पता ही नहीं चलता था। चार-पांच साल पहले विदेशी महिला उलरिके रेनहार्ट पहुंचीं और गांव में स्केट बोर्ड पार्क बनाने की बात कही। तब हम लोगों को लगा कि वो गरीबी का मजाक उड़ा रहीं हैं। लेकिन, उनकी जिद के चलते यहां के एक दर्जन से भी अधिक बच्चे नेशनल चैम्पियन हैं। मेरी बिटिया आशा और गांव का लड़का अरुण चीन के नानजिंग और इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी तक जा पहुंचे। नानजिंग में 2018 में आयोजित एशियाई स्केटबोर्डिंग चैम्पियनशिप में दोनों सेमीफाइनल राउंड तक खेले। आशा ने अंग्रेजी सीखने के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में भी प्रवेश लिया। आशा हमारे लिए उम्मीद की किरण बनी। उसी को देख मेरे सहित गांव की कई महिलाओं ने भी स्केटिंग सीखना शुरू कर दिया है। विदेश जाने की ललक में सभी पासपोर्ट भी बनवा रही हैं।

जनवार गांव में नौ पासपोर्ट बने हैं। छह स्केट बोर्डर्स के और तीन महिलाओं के। सचिन तेंदुलकर के साथ विज्ञापन में दिखने वाली आशा का सबसे पहले पासपोर्ट बना। इसके बाद अरुण, रामकेश, दीपा यादव, प्रियंका यादव और अभिलाषा यादव के पासपोर्ट बने। ये तीनों 40 दिन का यूरोप टूर कर चुके हैं। आशा की मां कमलाबाई, अरुण की मां जलसा बाई और रामकेश की मां शियाबाई के पास भी पासपोर्ट हैं। इन तीनों महिलाओं ने जर्मनी के बीजा के लिए आवेदन करने की तैयारी शुरू कर दी है। वहीं अनिल के पासपोर्ट का आवेदन चार बार निरस्त हो चुका है। वह पांचवीं बार आवेदन करने की तैयारी में है।
खास खास
1100 की आबादी जानवर गांव की
09 पासपोर्ट बन चुके
20 लोग आवेदन करने की तैयारी में
50 से ज्यादा आवेदन हो चुके
---------------
जिले में पासपोर्ट के आवेदन
वर्ष आवेदन की संख्या
2017-4648
2018-6933
2019-5420
2020-2036
2021-2696
2022-1286
1100 की आबादी जानवर गांव की
09 पासपोर्ट बन चुके
20 लोग आवेदन करने की तैयारी में
50 से ज्यादा आवेदन हो चुके
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जिले में पासपोर्ट के आवेदन
वर्ष आवेदन की संख्या
2017-4648
2018-6933
2019-5420
2020-2036
2021-2696
2022-1286