आज से 90 वर्ष पहले भारत देश अग्रेजों का गुलाम था। उस समय अग्रेजी हुकूमत पूरी तरह हावी थी। भगत सिंह और चन्द्रशेखर आजाद ने मिलकर हिन्दुस्तान सोसिलिस्ट रिपब्लिकेशन आर्मी की (एचएसआरए) स्थापना की थी। उस दौरान देशभर में क्रांतिकारियों की बैठक चल रही थी। जिसमें पन्ना के पांडव फॉल की बैठक भी शामिल थी।
क्षेत्र के आसपास यह पौराणिक कहानी प्रचलित है कि जब जुए में हारने के बाद पांडवों को हस्तिनापुर से निष्कासित होकर गुप्त रूप से रहना पड़ा था। तब वे यहां आए थे और इसी झरने के पास एक गुफा में उन्होंने हथियार छिपाए थे। इसी घटना के बाद इस जल प्रपात का नाम पांडव फॉल पड़ा था।
अगर पांडव फॉल के आस-पास में पर्यटक स्थलों की बात की जाए तो सबसे पहले नाम आता है। विश्वभर में ख्याति प्राप्त खजुराहों की। यहां की कामुक मूर्तियां पूरे विश्व में प्रसिद्द है। इन मंदिरों को देख कर हमें अपने पूर्वजों के सेक्स से संबंधित ज्ञान का पता चलता है। खजुराहों से लौटते समय रास्ते में पांडव फॉल पड़ता है। जहां की सुन्दरता देखते ही बनती। इसके अलावा पन्ना नेशनल पार्क, रनेह फाल इत्यादि शामिल है।
देश-विदेश से पांडव फॉल आने वाले पर्यटकों के लिए महज 15 किमी. दूर खजुराहों एयर पोर्ट है। रेलवे और और बस की बहुविकल्प सुविधा अवेलेबल है। यहां पर रुकने के लिए पर्याप्त और विभिन्न प्राइस मेनू वाले उच्च, मध्य और निम्न वर्ग के सरकारी और प्राइवेट होटल खजुराहों व पन्ना में मौजूद है। छतरपुर व सतना मार्ग पर स्थित पांडव फॉल के लिए हर 10 मिनट में बसें जाती है।