मामला सामने आने के बाद जहां एक ओर कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने मामले में मजिस्ट्रियल जांच के आदेश जारी किए हैं वहीं दूसरी ओर डीईओ कमल सिंह कुशवाहा के नेतृत्व में शिक्षा विभाग की टीम जांच कर रही है। शनिवार की सुबह मामले में मजिस्ट्रियल जांच करने के लिए तहसीलदार दीपा चतुर्वेदी स्कूल पहुंची हुई थीं।
वहीं दूसरी ओर डीईओ सहित डीपीसी, डाइट प्राचार्यऔर संकुल प्राचार्य की टीम स्कूल पहुंची हुई थी। दोपहर में दोनों टीमें एकसाथ स्कूल की जांच कर रही थीं। वहीं प्रशासन के हस्ताक्षेप के बाद स्कूल प्रबंधन द्वारा पुरानी टीसी को निरस्त करते हुए उत्तम चरित्र वाली दूसरी टीसी जारी कर दी है।
गौरतलब है कि नगर की ज्ञानांजलि हाईस्कूल प्रबंधन में बीते दिनों जारी की गई दो जुड़वा बच्चों की टीसी में उनका चरित्र खराब होने और उनके अभिभावकों का व्यवहार खराब होना लिख दिया था। इसके कारण बच्चों को कहीं प्रवेश नहीं मिल पा रहा है। बच्चों का प्रवेश कराने के लिए एक स्कूल के दूसरे स्कूल कई दिनों तक भटकने के बाद परिजन कलेक्टर के पास पहुंचे और मामला मीडिया में आया।
मामले के मीडिया में आने के बाद कलेक्टर ने डीपीसी को भेजकर मामल की जांच कराई थी। शनिवार को कलेक्टर द्वारा मामले में मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिए। इसके साथ ही डीईओ के नेतृत्व में चार सदस्यीय शिक्षा विभाग की टीम बनाई गई है। दोनों टीमों को जल्द से जल्द रिर्पोर्ट सौंपने के निर्देश कलेक्टर ने दिए हैं।
सुबह जांच करने पहुंची दो टीमें: सुबह मामले की मजिस्ट्रियल जाचं के लिए पन्ना तहसीलदार दीपा चतुर्वेदी पहुंची हुई थी, जबकि डीईओ के नेतृत्व वाली जांच टीम में डीईओ कमल सिंह कुशवाहा, डीपीस विष्णु त्रिपाठी, डाइट प्राचार्य आरपी भटनागर और संकुल प्राचार्य मनहर कन्या की टीम पहुंची हुई थी।
दोनों टीमों द्वारा मामले में जांच की गई है। प्र्रथम दृष्टया दोनों ही मामलों में स्कूल प्रबंधन को दोषी पाया गया है। आरटीई के विभिन्न प्रावधानों और मान्यता शर्तों को लेकर भी जांच की जा रही है। दिनभर जहां एक ओर स्कूल में जांच चलती रहीं वहीं दूसरी ओर दिनभर मामला मीडिया की सुर्खियां बना रहा। स्कूल प्रबंधन के इस कृत्य को लेकर सोशल मीडिया में भी काफी चर्चा रही है।
उत्तम हो गया बच्चों का चरित्र मामला प्रकाश में आने के बाद प्रशासन की प्राथमिकता थी कि बच्चों की टीसी में सुधार कराया जाए। इसको लेकर प्रशासन की जांच टीम की ओर से स्कल पहुंचने के बाद बच्चों के परिजनों को स्कूल बुलाया गया और स्कूल प्रबंधन से पुरानी टीसी के बदले नवीन टीसी जारी कराई गई, जिसे बच्चों के परिजनों को सौंप दिया गया।
उन्हें प्रदान की गई टीसी में बच्चों का चरित्र उत्तम लिखा गया है साथ ही पुरानी टीसी में लिखा अभिभावक का व्यवहार खराब होने की बात को भी नई टीसी में हटा दिया गया था। इससे अब बच्चों का उनकी मनचाही स्कूल में प्रवेश मिलने का रास्ता साफ हो गया है।
मामले में कलेक्टर द्वारा मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए हैं। जांच में प्रथम दृष्टया यह पाया गया है कि आरटीई के तहत प्रवेश लेने वाले कुछ बच्चों के अभिभावकों द्वारा स्कूल प्रबंधन के फीस लेने की बात कही गई है, जबकि कुछ अभिभावकों ने फीस नहीं लेने की बता कही है। वे कल तक अपनी जांच रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप देंगी।
दीपा चतुर्वेदी, तहसीलदार व जांच अधिकारी
दीपा चतुर्वेदी, तहसीलदार व जांच अधिकारी
टीम कई बिंदुओं पर एकसाथ जांच कर रही है। यह देखा जा रहा है कि बच्चों की टीसी में चरित्र खराब लिखकर मानसिक रूप से प्रताडि़त तो नहीं किया गया है। आरटीई के तहत प्रवेश के बाद भी अभिभावकों से फीस तो नहीं ली जा रही है। आरटीई के प्रावधानों और मान्यता शर्तों के संबंध में भी जांच की जा रही है।
चरित्र खराब लिखने के मामले में स्कूल प्रबंधन प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया है। अभिभावकों से मासिक फीस नहीं लेकर अन्य नामों से रुपए लिए जाने के प्रमाण मिले हैं जो आरटीई के तहत स्कूल को नहीं लेना चाहिए था। टीम सोमवार को कलेक्टर केा अपनी रिपोर्ट सौंप देगी।
विष्णु त्रिपाठी, डीपीसी व जांच समिति के सदस्य
विष्णु त्रिपाठी, डीपीसी व जांच समिति के सदस्य