पैकेट बंद दूध 40 व 46 रुपए प्रति लीटर में भी उपलब्ध है। इसके बाद भी जिला प्रशासन द्वारा पैकेटबंद सस्ते दूध की शहर में उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में कराने के प्रयास नहीं किए गए हैं। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग का कहना है कि हम गुणवत्ता नियंत्रण का काम देख सकते हैं। उपलब्धता कराना खाद्य विभाग की जिम्मेदारी है। जबकि खाद्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एक्ट में इस संबंध में हमारे पास कोईअधिकार नहीं हैं। दुग्ध डेयरियां पशु पालन विभाग के जिम्मेआती हैं। उनसे दुग्ध की उपलब्धता बढ़ाने के लिए कहा जाएगा। वहीं पश्ुा पालन विभाग द्वारा ममला खाद्य और जिला प्रशासन हस्ताक्षेप का होने की बात कही गई है।
जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी आरके श्रीवास्तव ने बताया कि हमारे एक्ट में कोई अधिकार नहीं हैं। लाइसेंस भी हम जारी नहीं करते। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग भी गुणवत्ता पर ही नजर रखता है। वेंडर रेट खुद निर्धारित करते हैं। वहीं इस मामलो में हमारा काम सिर्फ पशुओं का इलाज करना है। शहर में दूध की उपलब्धता बढ़ाने का काम खाद्य विभाग व कलेक्टर देख सकते हैं। कलेक्टर कहें तो दुग्ध संघ पैकेट वाले दूध की उपलब्धता बढ़ा सकता है। इससे सस्ता दूध मिलने लगेगा।