गुरुवार सुबह मिले मृत बाघ इसकी पहचान पी-111 के रूप में हुई है, जो 13 वर्षीय बाघ है। अधिकारियों ने कहा कि पन्ना टाइगर रिजर्व के अकोला गेट के पास शव पड़ा हुआ देखकर ग्रामीणों ने उन्हें सतर्क कर दिया। टीएस की मृत्यु से कुछ समय पहले, उसे स्थानीय लोगों ने सड़क पार करते देखा था अधिकारियों ने कहा कि उसके अंग बरकरार हैं और मौत के कारणों का पता नहीं चल पाया है। विसरा के नमूनों को विषाणु विज्ञान और विष विज्ञान परीक्षण के लिए सुरक्षित रखा गया है।
प्रदेश में बढ़ रहा बाघों की मौत का ग्राफ
पन्ना-कटनी हाईवे पर बाघ की यह दूसरी मौत है। पिछले साल हिट एंड रन में एक शावक की मौत हो गई थी। रिजर्व के भीतर 11 बाघों की मौत, 6 टाइगर स्टेट के बाहर मृत पाए गए। प्रदेश में इस साल बड़ी बिल्ली की मौत का सिलसिला जारी है। सूत्रों का कहना है कि रिजर्व के भीतर 11 बाघों की मौत हो गई है, और छह बाहर मृत पाए गए, जिनमें से एक वाहन से कुचला गया था। मार्च-अप्रैल में दो सप्ताह की अवधि में पांच सहित कई बाघ क्षेत्रीय लड़ाई में मारे गए। गुरुवार से पहले आखिरी बार दर्ज बाघ की मौत 28 अप्रैल को बांधवगढ़ में हुई थी। धमोकर रेंज में पांच साल की बाघिन का शव मिला है। अधिकारियों ने अवैध शिकार से इनकार किया था क्योंकि उसके शरीर के सभी अंग बरकरार थे।
4 दिन पहले भी हुई थी मौत
चार दिन पहले धमोकर बफर क्षेत्र के पास एक बाघिन मृत पाई गई थी। उसकी खोपड़ी, पेट और अंगों सहित पूरे शरीर पर भयानक चोटें थीं। उन्हें संदेह है कि बाघिन को एक वयस्क नर ने क्षेत्रीय वर्चस्व को लेकर मारा था। बाघों पर इस तरह हो रहे अत्याचारों में इजाफा देखने को मिला है। इस साल 17 बाघों ने एमपी को अलविदा कहा है।