सैकड़ों को मिला प्रवेश
गौरतलब है कि कॉलेज लेबिल काउंसलिंग के द्वितीय चरण में बढ़ाई गई 25 फीसदी सीटों के 7 सितंबर को ही भर जाने के बाद हंगामे के हालात बने तो 11 सितंबर तक हंगामा ही होता रहा है। छत्रसाल कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने पहले चक्काजाम किया उसके बाद भी प्रवेश से वंचित लोगों को कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन करना पड़ा। एक ओर पीजी की कक्षाओं में प्रवेश के लिए मारामारी रही, वहीं स्नातक स्तर पर बड़ी संख्या में स्वीकृत सीटें भी खाली रह गईं।
गौरतलब है कि कॉलेज लेबिल काउंसलिंग के द्वितीय चरण में बढ़ाई गई 25 फीसदी सीटों के 7 सितंबर को ही भर जाने के बाद हंगामे के हालात बने तो 11 सितंबर तक हंगामा ही होता रहा है। छत्रसाल कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने पहले चक्काजाम किया उसके बाद भी प्रवेश से वंचित लोगों को कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन करना पड़ा। एक ओर पीजी की कक्षाओं में प्रवेश के लिए मारामारी रही, वहीं स्नातक स्तर पर बड़ी संख्या में स्वीकृत सीटें भी खाली रह गईं।
कॉलेजों में नहीं पर्याप्त बैठने की व्यवस्था
जिला मुख्यालय के सबसे बड़े छत्रसाल कॉलेज में ही कला संकाय में पीजी में कई विषयों अर्थशास्त्र, हिंदी, राजनीति शास्त्र में शत प्रतिशत सीटें फुल हो गई हैं। इनमें 80-80 लोगों को प्रवेश दिया गया है, जबकि कॉलेज के पास कमरों में 20-30 लोगों को ही एक समय में बैठाने की क्षमता है। कॉलेज प्रबंधन अब टाइम टेबिल बदलने और कक्षाओं को बड़े कमरों में शिफ्ट करने जैसे प्लान बना रहा है। देवेंद्रनगर के सरकारी कॉलेज को तो उच्च शिक्षा विभाग ने गुणवत्ताहीन होने के कारण उपयोग के लायक ही नहीं माना है। यहां गुणवत्ताहीन तरीके से निर्माणाधीन भवन बीते करीब एक दशक से बन रहा है। वर्तमान में पूरे कॉजेज का संचाल करीब आधा दर्जन कमरों में ही हो रहा है। पवई के कॉलेज में भी छात्र-छात्राओं को बैठने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। ऐसे ही हालात जिले के कुछ अन्य कॉलेजों के भी हैं। जहां प्रवेशार्थियों को बैठने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।
जिला मुख्यालय के सबसे बड़े छत्रसाल कॉलेज में ही कला संकाय में पीजी में कई विषयों अर्थशास्त्र, हिंदी, राजनीति शास्त्र में शत प्रतिशत सीटें फुल हो गई हैं। इनमें 80-80 लोगों को प्रवेश दिया गया है, जबकि कॉलेज के पास कमरों में 20-30 लोगों को ही एक समय में बैठाने की क्षमता है। कॉलेज प्रबंधन अब टाइम टेबिल बदलने और कक्षाओं को बड़े कमरों में शिफ्ट करने जैसे प्लान बना रहा है। देवेंद्रनगर के सरकारी कॉलेज को तो उच्च शिक्षा विभाग ने गुणवत्ताहीन होने के कारण उपयोग के लायक ही नहीं माना है। यहां गुणवत्ताहीन तरीके से निर्माणाधीन भवन बीते करीब एक दशक से बन रहा है। वर्तमान में पूरे कॉजेज का संचाल करीब आधा दर्जन कमरों में ही हो रहा है। पवई के कॉलेज में भी छात्र-छात्राओं को बैठने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। ऐसे ही हालात जिले के कुछ अन्य कॉलेजों के भी हैं। जहां प्रवेशार्थियों को बैठने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।
शैक्षणिक स्टॉप की भी कमी
जिले की उच्च शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से अतिथि विद्वानों के भरोसे चल रही है। छत्रसाल कॉलेज में ही शैक्षणिक स्टॉप के 60 से 70 फीसदी पद खाली पड़े हैं। इसी तरह मुख्यालय के ही कन्या महाविद्यालय में दो-तीन लोगों का ही नियमित शैक्षणिक स्टॉप है। जिले के कई कॉलेजों में तो हालात यह है कि एक-दो लोगों के ही नियमित स्टॉप पर कॉलेजों का संचालन किया जा रहा है। इनकी हालात हाई और हायर सेकंडरी स्कूलों से भी बद्तर है। कॉलेजों की हालत सुधारने की दिशा में समुचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
जिले की उच्च शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से अतिथि विद्वानों के भरोसे चल रही है। छत्रसाल कॉलेज में ही शैक्षणिक स्टॉप के 60 से 70 फीसदी पद खाली पड़े हैं। इसी तरह मुख्यालय के ही कन्या महाविद्यालय में दो-तीन लोगों का ही नियमित शैक्षणिक स्टॉप है। जिले के कई कॉलेजों में तो हालात यह है कि एक-दो लोगों के ही नियमित स्टॉप पर कॉलेजों का संचालन किया जा रहा है। इनकी हालात हाई और हायर सेकंडरी स्कूलों से भी बद्तर है। कॉलेजों की हालत सुधारने की दिशा में समुचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
कुछ इस तरह से है प्रवेश की हालत
जिले के आठ कॉलेजों में स्नातक स्तर पर कला संकाय के लिए 2042 सीटें आवंटित की गई थीं, जिसमें से 1821 सीटें भर गईं, जबकि 221 सीटें खाली रह गईं। जो सीटें खाली हर गई हैं उनमें सबसे अधिक गुनौर कॉलेज की 88 और देवेंद्रनगर कॉलेज की 65 सीटें शामिल हैं। इसी प्रकार से विज्ञान संकाय में 923 सीटें आवंटित की गई थीं, जिनमें से 675 सीटें भर पाईं और 248 सीटें रिक्त रह गई हैं। इसी प्रकार से वाणिज्य संकाय में 280 सीटें आवंटित की गई थीं, जिनमें से 159 सीटें रिक्त रह गईं। इनमें छत्रसाल कॉलेज की 76 और पवई कॉलेज की 52 सीटें भी शामिल हैं।
जिले के आठ कॉलेजों में स्नातक स्तर पर कला संकाय के लिए 2042 सीटें आवंटित की गई थीं, जिसमें से 1821 सीटें भर गईं, जबकि 221 सीटें खाली रह गईं। जो सीटें खाली हर गई हैं उनमें सबसे अधिक गुनौर कॉलेज की 88 और देवेंद्रनगर कॉलेज की 65 सीटें शामिल हैं। इसी प्रकार से विज्ञान संकाय में 923 सीटें आवंटित की गई थीं, जिनमें से 675 सीटें भर पाईं और 248 सीटें रिक्त रह गई हैं। इसी प्रकार से वाणिज्य संकाय में 280 सीटें आवंटित की गई थीं, जिनमें से 159 सीटें रिक्त रह गईं। इनमें छत्रसाल कॉलेज की 76 और पवई कॉलेज की 52 सीटें भी शामिल हैं।
पीजी कक्षाओं में प्रवेश की हालत
पीजी आर्ट संकाय में जिले के छात्रसाल कॉलेज और पवई कॉलेज में ही प्रवेश दिए गए हैं। इनमें छत्रसाल कॉलेज की 400 सीटों में से 25 रिक्त रह गईं, जबकि पवई की सभी 49 सीटें फुल हो गईहैं। विज्ञान संकाय में भी छत्रसाल कॉलेज और पवई कॉलेज में ही प्रवेश दिए गए। इनमें से छत्रसाल कॉलेज की 270 में से 51 सीटें रिक्त रह गईं। जबकि पवई कॉलेज की 60 में से 29 सीटें रिक्त थीं। वाणिज्य संकाय में पीजी में सिर्फ छत्रसाल कॉलेज में प्रवेश दिया गया। इसके लिए निर्धारित 55 में से 8 सीटें रिक्त रह गई हैं।
पीजी आर्ट संकाय में जिले के छात्रसाल कॉलेज और पवई कॉलेज में ही प्रवेश दिए गए हैं। इनमें छत्रसाल कॉलेज की 400 सीटों में से 25 रिक्त रह गईं, जबकि पवई की सभी 49 सीटें फुल हो गईहैं। विज्ञान संकाय में भी छत्रसाल कॉलेज और पवई कॉलेज में ही प्रवेश दिए गए। इनमें से छत्रसाल कॉलेज की 270 में से 51 सीटें रिक्त रह गईं। जबकि पवई कॉलेज की 60 में से 29 सीटें रिक्त थीं। वाणिज्य संकाय में पीजी में सिर्फ छत्रसाल कॉलेज में प्रवेश दिया गया। इसके लिए निर्धारित 55 में से 8 सीटें रिक्त रह गई हैं।